मध्यप्रदेश चुनाव में ‘दिग्गी राजा’ के दरकिनार होने से भाजपा की बढ़ी मुश्किलें
सूबे में वोटिंग के लिए छह हफ्ते भी नहीं बचे हैं। लिहाजा ऐन चुनाव के वक्त दिग्विजय ने ऐसा क्यों कहा…? क्या वह सचमुच दरकिनार किए जा रहे हैं या इस बार एक ‘रणनीति’ के तहत ऐसा किया जा रहा है…? यह रणनीति है तो किसकी है, राहुल गांधी की या फिर खुद दिग्विजय की…? ये सवाल आम चर्चाओं में हैं। वही भाजपा कांग्रेस में दिग्विजय को दरकिनार किए जाने से चिंतित नजर आ रही है। भाजपा लोगों से कह रही है कि कांग्रेस के पास एक चेहरा ही नहीं है. जनता उसे वोट दे तो किसको देखकर…?
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हों या बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दोनों ने ही राहुल गांधी के साथ अगर किसी को टारगेट पर रखा है तो वे राघोगढ़ के राजा ही हैं। भाजपा नेताओं के भाषण ‘मिस्टर बंटाधार’ (बीजेपी ने 2003 में दिग्विजय को नाम दिया था) के जिक्र के बिना खत्म नहीं होते। लोगों को दस साल के उनके राज में सड़क, बिजली, पानी के हाल की याद दिलाई जाती है।
मुख्यमंत्री चौहान कहते हैं, दिग्विजय पोस्टरों से गायब हैं, न ही उनकी आम सभाएं हो रही हैं। किसी ने नहीं सोचा होगा कि कांग्रेस अपने एक वरिष्ठ नेता के साथ ऐसा व्यवहार करेगी। कम से कम उनकी प्रतिष्ठा का तो ख्याल रखना चाहिए। भाजपा दिग्विजय को हर हाल में भड़काने की कोशिशें की जा रही हैं। ताकि वे कुछ बोलें, करें। लेकिन दिग्विजय ‘बैकरूम बॉय’ बने हुए हैं। यही भाजपा की बेचैनी की वजह है।