नेपाल में गहराया राजनीतिक संकट, मधेसी पार्टी ने सरकार को दी समर्थन वापसी की चेतावनी

पड़ोसी देश नेपाल में एक बार फिर से राजनीतिक संकट गहराते नजर आ रहे हैं। मुख्य मधेसी दल ‘राष्ट्रीय जनता पार्टी – नेपाल’ (राजपा) ने संविधान में संशोधन को लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार को विजयादशमी तक का अल्टीमेटम दिया है। इसके बाद भी संविधान संशोधन की मांग पूरी न होने पर उन्होंने सरकार को समर्थन वापसी की चेतावनी दी है।

सोमवार को राजपा अध्यक्ष मंडल के संयोजक महंत ठाकुर ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को मांग पूरी करने के लिए ज्ञापन पत्र सौंपा। इसके साथ ही सभी जिलों में राजपा जिला संयोजकों ने मुख्य जिला अधिकारी के माध्यम से ज्ञापन पत्र सौंपा। राजपा ने सरकार से संविधान संशोधन, सांसद रेशम चौधरी का शपथ ग्रहण और अपने कार्यकर्ताओं पर लगाए गए झूठे आरोप वापस लेने की मांग की है।

राजपा अध्यक्ष मंडल के सदस्य और पूर्व वाणिज्य मंत्री राजेंद्र महतो ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि यह हमारी आखिरी चेतावनी है। अगर सरकार हमारी मांगे नहीं मानती है तो विजयादशमी के बाद हम सरकार से समर्थन वापस लेकर नए सिरे से आंदोलन की शुरुआत करेंगे। मधेसी पार्टी दक्षिणी तराई क्षेत्र के निवासियों के हितों के प्रतिनिधित्व का दावा करती है, जिनमें अधिकतर भारतीय मूल के हैं।

नाराजगी का कारण

साल 2015 में नेपाल में नया संविधान अपनाया गया था। इसके बाद नेपाल को सात प्रांतीय इकाईयों में बांट दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में मधेसियों को दरकिनार कर दिया गया था। मधेसी तराई क्षेत्र के निवासी हैं और अधिकतर भारतीय मूल के हैं। ओली के पहले कार्यकाल में संविधान संशोधन व अन्य मांगों को लेकर छह महीने लंबा विरोध प्रदर्शन चला था, जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए थे।

समर्थन वापसी का असर
275 सदस्यों वाली संसद में वामपंथी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के पास फिलहाल दो तिहाई बहुमत है। हालांकि, अगर मुख्य मधेसी पार्टी अपना समर्थन वापस लेती है तो संसद में सरकार दो तिहाई बहुमत खो देगी।

संविधान में इन संशोधनों की मांग

  • नागरिक प्रमाणपत्र वितरण प्रावधान में संशोधन
  • प्रांतीय सरकारों को अधिक अधिकार
  • प्रांतीय सीमाओं की समीक्षा
  • पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामलों की वापसी
  • रजेपी-एन सांसद रेशम चौधरी की रिहाई
Back to top button