एमपी: कोर्ट ने रेपिस्ट को 46 दिन में ही सुनाई फांसी की सजा

मध्य प्रदेश में रेप की घटनाओं में बढ़ोतरी के बीच एक कोर्ट ने नाबालिग लड़की से रेप करने वाले दुष्कर्मी को महज 46 दिन में फांसी की सजा सुनाई है. एमपी के सागर जिले की रहली में बीते 21 मई को एक नाबालिग लड़की से रेप किया था. इसके बाद जांच और अभियोजन की कार्रवाई जल्द ही पूरी हो गई और कोर्ट ने 7 जुलाई को दुष्कर्मी को फांसी की सजा सुना दी. इस अवधि में ट्रायल और मेडिकल टेस्ट कराए गए और महज घटना के 46 दिन की अवधि में रेप के केस में फांसी की सजा दे दी गई.

राज्य में मंदसौर, इंदौर, सतना, सागर समेत कई जगह नाबालिग बच्चियों से रेप, हत्या और हत्या की कोशिश के मामले सामने आए हैं. वहीं, अदालतें भी सख्त रवैया अपनाए हुए और दोषियों को जल्द फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए त्वरित न्याय दे रही हैं.

रेप और मर्डर के इस केस में दुष्कर्मी को 14 माह में फांसी की सजा

एमपी के सागर जिले की एक अदालत ने बीते 9 साल की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाकर उसकी हत्या करने वाले दुष्कर्मी को बीते 19 जून को फांसी की सजा सुनाई थी.

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अभियोजन के मुताबिक, सागर जिले के खुरई थाना क्षेत्र के गांव उजनेट में 13 अप्रैल, 2017 को 9 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने हत्या के आरोप में 43 साल के सुनील आदिवासी को गिरफ्तार कर बोरी में बंद बच्ची का शव बरामद किया था.

द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश सुमन श्रीवास्तव ने इस मामले को ‘विरल से विरलतम’ करार देते हुए आरोपी सुनील को फांसी की सजा सुनाई. न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा था कि ऐसे फैसले से जघन्यतम अपराध करने वाले अपराधियों के मन में भय पैदा होगा और समाज में न्यायालय और कानून व्यवस्था के प्रति विश्वास और दृढ़ होगा.

एमपी में फांसी का कानून

बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2017 में 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से रेप के दोषियों को फांसी की सजा का कानून पारित किया था. इस साल 21 अप्रैल को इस विधेयक के प्रस्ताव पर राष्ट्रपति की सहमति मिलने से यह कानून बन गया है.

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