भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने शुरू की ‘जन संघर्ष यात्रा’

कोल्हापुर (महाराष्ट्र): लोगों से किए वादे पूरे करने में भाजपा नेतृत्व वाली केन्द्र एवं राज्य सरकार की नाकामियों को लोगों के समक्ष लाने के लक्ष्य से कांग्रेस ने शुक्रवार को यहां अपनी ‘जन संघर्ष यात्रा’ की शुरुआत की. अभियान का उद्देश्य लोगों को उन समाधानों से अवगत कराना है, जिसे कांग्रेस ने पेश किया था. अभियान की शुरुआत महाराष्ट्र के प्रभारी पार्टी महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अशोक चव्हाण, विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल एवं अन्य नेताओं की मौजूदगी में हुई.

इन नेताओं द्वारा रैलियों का आयोजन करने और जन संपर्क कार्यक्रम के पहले चरण के तहत जुलूस में हिस्सा लेने की संभावना है. अभियान का यह चरण 8 सितंबर को पुणे में सम्पन्न होगा. पार्टी अभियान के अगले चरण की शुरुआत उत्तर महाराष्ट्र में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर 2 अक्तूबर को करेगी. 

मुंबई में साढ़े तीन महीने के अभियान के समापन से पहले पार्टी की मराठवाड़ा एवं विदर्भ क्षेत्रों को कवर करने की योजना है. अभियान को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के लिये कांग्रेस की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है.

छत्रपति राजर्षी शाहू महाराज की कर्मभूमि कोल्हापुर के अंबाबाई का आशीर्वाद लेकर यात्रा का शुभारंभ होगा. 31 अगस्त से 8 सितंबर तक यह यात्रा पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सातारा, सांगली, सोलापुर, पुणे जिले में जनता से संवाद स्थापित करते हुए सरकार की जन विरोधी नीतियों को लोगों तक पहुंचाया जाएगा. पुणे शहर में 8 सितंबर को विशाल जनसभा में जनसंघर्ष यात्रा का पहला चरण पूरा होगा. 

राजस्थान में वसुंधरा निकाल रहीं गौरव यात्रा
चुनावी राज्‍य राजस्‍थान में एक बार फिर कमल खिलाने के लिए मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की 40 दिन तक चलने वाली गौरव यात्रा जारी है. बीजेपी का मकसद करीब 165 विधानसभा सीटों से होकर गुजरने वाली इस यात्रा के जरिए राजपूत मतदाताओं को साधना है जो इन दिनों पार्टी से नाराज चल रहे हैं. 

राजपूत संगठन कांग्रेस को समर्थन करेंगे
बीजेपी विधायक और शाही परिवार की सदस्‍य दिया कुमारी ने महल सील करने का खुलेआम विरोध किया था. इससे मजबूर होकर वसुंधरा सरकार को पैलेस की सील को खोलना पड़ा. राज्‍य सरकार के इस कदम को राजपूतों ने पूरे समुदाय पर हमले के रूप में लिया था. इसके बाद कई राजपूत संगठनों ने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की थी. इसने बीजेपी नेतृत्‍व को चिंता में डाल दिया. हाल ही में हुए उपचुनाव में बीजेपी को सभी तीन उपचुनावों में कांग्रेस के हाथों मात खानी पड़ी थी. 

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