CoA ने अपने ही फैसले से ले लिया यूटर्न 5 क्रिकेट संघों को BCCI की AGM में शामिल होने की दी इजाजत

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति(सीओए) ने अपने कदम वापसी खींच लिए हैं। सीओए ने उत्तर प्रदेश (यूपीसीए) और मणिपुर क्रिकेट संघ (एमसीए) सहित पांच राज्य संघों को अपने नए प्रतिनिधियों को भेजने की इजाजत दे दी है। सीओए ने मंगलवार को यूपीसीए, मणिपुर, भारतीय रेलवे, सेना और भारतीय विश्वविद्यालय संघ को ई-मेल लिखकर कुछ शर्तो के साथ आगामी चुनाव में भाग लेने की अनुमति दी है। इसके लिए उसने इन राज्य संघों से नए प्रतिनिधियों को लेकर आवेदन मंगाए हैं।

सीओए ने ई-मेल में लिखा है कि यूपीसीए, मणिपुर क्रिकेट संघ, इंडियन रेलवे, सेना और भारतीय विश्वविद्यालय संघ बीसीसीआइ के पूर्ण सदस्य हैं और चुनाव अधिकारी के मुताबिक पूर्व में इनके द्वारा भेजे गए प्रतिनिधियों के नाम वोटिंग के लिए अयोग्य थे। यूपीसीए और मणिपुर 23 अक्टूबर को होने वाली एजीएम के लिए नए योग्य प्रतिनिधियों के नाम भेजें। ये दोनों वोट भी डाल सकते हैं और बैठक में भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि अब वोटिंग होनी ही नहीं है।

सीओए ने आगे लिखा है भारतीय रेलवे, सेना और भारतीय विश्वविद्यालय संघ अपने प्रतिनिधि भेजें लेकिन वह वोटिंग में भाग नहीं लेंगे। केंद्र प्रशासित क्रिकेट संघ (चंडीगढ़), क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया और नेशनल क्रिकेट क्लब भी अपने योग्य प्रतिनिधि भेजें लेकिन इन तीनों संघों के प्रतिनिधि ना तो वोटिंग में हिस्सा ले सकते हैं और ना ही उनकी ओर से कोई प्रतिनिधि चुना जा सकता है। सीओए ने लिखा है कि इन राज्य संघों के प्रतिनिधियों के नाम भेजने की आखिरी तारीख 17 अक्टूबर है। इनकी भागीदारी पर फैसला सीओए 21 अक्टूबर को सुनाएगा।

हितों के टकराव में छूट की सिफारिश

पूर्व खिलाड़ियों को जल्द ही एक साथ कई भूमिकाएं निभाने की छूट मिल सकती है, क्योंकि सीओए ने बोर्ड के संविधान के विवादास्पद हितों के टकराव नियम में संशोधन करने की सिफारिश की है। मौजूदा संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक बार में कई भूमिकाएं नहीं निभा सकता है और इसके कारण कई दिग्गज क्रिकेटरों पर हितों के टकराव के आरोप भी लगे।

इनमें बीसीसीआई अध्यक्ष बनने जा रहे सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और कपिल देव भी शामिल हैं। सीओए ने कोर्ट में सोमवार को अपनी 11वीं और आखिरी स्टेटस रिपोर्ट सौंपी जिसमें बीसीसीआई संविधान के नियम 38 में संशोधन का प्रस्ताव किया है। अगर यह संशोधन स्वीकार कर लिया जाता है तो फिर उन पूर्व खिला़ि़डयों को कई भूमिकाएं निभाने की अनुमति मिल सकती है जिनका बीसीसीआई या राज्य संघों के साथ दो साल से कम का अनुबंध है।

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