दिल्ली दौरे से ‘मजबूत’ होकर लौटे सीएम योगी, मिशन 2022 के फैसले का इंतजार…

दिल्ली दौरे से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मजबूती लेकर लौटे हैं। सियासी कयासों, उलटफेर की चर्चाओं, प्रदेश के बंटवारे की तैयारी की अटकलों के बीच दो दिन का उनका यह दौरा पूरी तरह फीडबैक देने और आने वाली चुनौतियों से पार पाने की तैयारियों की चर्चाओं पर ही केंद्रित रहा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मुलाकात से शुरू होकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक से भेंट में प्रमुख रूप से मुख्य एजेंडा मिशन 2022 और लक्ष्य 300 पार सीटें ही रहा।

केंद्रीय नेतृत्व ने योगी के साथ जरूरी फैसले लेने और उन्हें क्रियान्वित करने के मुद्दे पर चर्चा किया। साथ ही पूरी कार्ययोजना समझाने और प्रदेश की तैयारियां समझते हुए जल्द ही फिर बैठक कर फैसलों को अंतिम रूप देने का निश्चय हुआ है। केंद्रीय नेतृत्व ने यूपी में फिर फतह की कमान एक तरह से गृहमंत्री अमित शाह को सौंप दी है।

जहां तक मंत्रिमंडल फेरबदल की चर्चाओं का सवाल है तो इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। नामों को लेकर भी कोई सूची नहीं तैयार की गई है। जहां तक जितिन या अरविंद शर्मा को मंत्री बनाने की बात है तो इस बारे में भी इस दौरे में कोई अंतिम फैसला न होने के संकेत हैं। संघ व भाजपा के सूत्रों का कहना है कि मुलाकात का मुद्दा कोरोना महामारी के दौरान हालात और पंचायत चुनाव के परिणामों के संदर्भ में 2022 की संभावनाएं व समीकरण रहे। 

इनके जरिये यूपी में भाजपा की ‘एक बार फिर सरकार 300 पार के साथ’ के संकल्प को साकार किया जा सके। मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री, शाह और नड्डा से अलग-अलग मुलाकातें होने के कारण इनकी कोई अधिकृत जानकारी तो नहीं मिल पाई है, लेकिन बताया जा रहा है कि बातचीत का मुद्दा डैमेज कंट्रोल के लिए सहयोगियों का साधना और विरोधियों का सियासी तौर पर निपटाना रहा।

बातचीत के संकेत
सूत्रों का कहना है कि निषाद पार्टी की तरफ  से 14 जातियों को अनुसूचित जाति की सुविधाएं देने व गोरखपुर के आसपास दो या तीन जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद देने और अनुप्रिया पटेल की तरफ  से कुछ जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष की मांग पर भी शाह ने योगी के साथ विचार-विमर्श किया। 

साथ ही उन संभावनाओं पर भी बात की गई, जिनके जरिये पिछड़ों व अनुसूचित जाति के लोगों को और मजबूती के साथ भाजपा से जोड़ा जा सके। शाह ने इन वर्गों के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं के प्रभाव की जानकारी भी ली। पंचायत चुनाव के नतीजों के परिपेक्ष्य में भी इन योजनाओं के प्रभावों पर चर्चा की जानकारी भी मिली है।

रार कम, रणनीति ज्यादा
तमाम चर्चाओं के उलट योगी की शाह से लेकर नड्डा तक से मुलाकातें पूरी तरह सामान्य माहौल में हुई। भले ही सोशल मीडिया पर रार की खबरें चल रही हों, लेकिन सूत्रों के अनुसार योगी की केंद्रीय नेताओं के साथ मुलाकात का मुद्दा रार के बजाय 2022 की रणनीति की तैयारी रहा। शाह ने मुलाकात में सहयोगी पार्टियों की ओर से आई अपेक्षाओं की बात रखी और कोरोना काल के दौरान उठी बातों पर भी मुख्यमंत्री से चर्चा की। 

तय हुआ कि 2022 के मद्देनजर जहां मौजूदा सहयोगियों को साथ रखना है, वहीं सपा को ध्यान में रखते हुए पूरी चुनावी तैयारियों का तानाबाना बुनना है। अपने जाने न पाएं, लेकिन सामने वाले मजबूत भी न होने पाएं। कुल मिलाकर योगी के इस दिल्ली दौरे ने भाजपा के मिशन 2022 की तैयारियों की रूपरेखा की दिशा तय कर दी है। 

इस पर विस्तृत कार्ययोजना जल्द ही सामने आ जाएगी और अमल भी शुरू होगा। पर, फिलहाल प्राथमिकता जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव रहेंगे। इसके बाद भाजपा संगठन और सरकार मिशन 2022 की फतह के लिए मैदान में उतरेगी।

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