31 हजार करोड़ रुपये के लाेन के मामले में PM मोदी से CM कैप्‍टन करेंगे मुलाकात

 केंद्र सरकार से लिए गए 31 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का मामला पंजाब सरकार के लिए समस्या बनता जा रहा है। केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय के बाद वित्त मंत्रालय के भी ठंडे रिस्पांस से पंजाब की कैप्‍टन सरकार परेशानी में पड़ गई है। ऐसे में मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दरवाजा खटखटाने की तैयारी की है। अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा है। सूत्रों का कहना है कि 4 अक्टूबर को पीएम से मिलने का समय मिल सकता है।31 हजार करोड़ रुपये के लाेन के मामले में PM मोदी से CM कैप्‍टन करेंगे मुलाकात कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मांगा समय, 4 अक्‍टूबर को हो सकती है मुलाकात

सीएमओ ने प्रधानमंत्री ऑफिस को भेजे पत्र के साथ केंद्र के ज्वाइंट सेक्रेटरी पीके झा की रिपोर्ट भेजते हुए कहा कि इस फूड अकाउंट में 12 हजार करोड़ रुपये के मूल पर 18 हजार करोड़ ब्याज का लगा हुआ है। इसे तीनों हिस्सेदारों पंजाब सरकार, केंद्र सरकार और बैंक आपस में समान रूप से वहन करें।

उल्लेखनीय है कि पूर्व अकाली-भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन 31 हजार करोड़ के बिगड़े हुए अकाउंट को दीर्घ अवधि के विशेष कर्ज के रूप में बदलवाकर अपने ऊपर ले लिया। हालांकि इससे पहले पंजाब के तत्कालीन खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री आदेश प्रताप सिंह कैरों यह दावा करते रहे कि पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से 25 हजार करोड़ रुपये लेना है। कैप्टन ने जब सत्ता संभाली तो सबसे बड़ा बोझ राज्य सरकार पर आ गया।

18 हजार करोड़ रुपये ब्याज

राज्य सरकार को 12 हजार करोड़ के मूल कर्ज पर 18 हजार करोड़ ब्याज के देने हैं। बीस साल के इस कर्ज की हर महीने 270 करोड़ रुपये किश्त है। यानी 12 हजार करोड़ के कर्ज को बीस साल में मोडऩे पर पंजाब को 64800 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।

पासवान व जेटली से लगा चुके गुहार

इस मामले को लेकर केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान, केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली से कैप्टन अमङ्क्षरदर सिंह और वित्तमंत्री मनप्रीत बादल मिल चुके हैं। पासवान ने जुलाई में एक पत्र लिखकर पंजाब सरकार को कहा कि इस पर फैसला केंद्रीय वित्त मंत्रालय को लेना है।

पहले भी पीएम से मिल चुके हैैं कैप्टन

वित्तमंत्री अरुण जेटली की सेहत खराब होने के चलते यह मामला कुछ देर के लिए लटक गया लेकिन अब उन्होंने भी इस पर ठंडा रिस्पांस ही दिया है। इसलिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मामला प्रधानमंत्री के पास उठाने का फैसला किया है। हालांकि वह इस मामले को लेकर पहले भी पीएम मोदी से मिल चुके हैं।

वित्तीय आयोग को रेफर हो सकता है मामला

जानकार सूत्रों का कहना है कि 31 हजार करोड़ का यह मामला केंद्र और राज्य सरकार के बीच काफी उलझा हुआ है। इसे हल करने के लिए केंद्र सरकार यह मामला 15वें वित्त आयोग को रेफर कर सकती है। आयोग इन दिनों सभी राज्य सरकारों से अपनी रिपोर्ट को लेकर विचार विमर्श कर रहा है। आयोग ने अगले साल अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपनी है।

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