महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग पर अड़े मराठा आंदोलनकारियों के तेवर को देखते हुए महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मराठा आंदोलन को समर्थन देने का निर्णय लिया है। कैबिनेट और शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के आवास पर गुरुवार देर रात 11 बजे से शुरू हुई बैठक करीब साढ़े तीन बजे चली। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मराठा आराक्षण को समर्थन देने का फैसला लिया गया।
बैठक में भाजपा सरकार के मंत्रिगण चंद्रकांत पाटिल, गिरीश महाजन, सुभाष देशमुख, बबनराव लोनकर, रनजीत पाटिल और पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख रावसाहब दानवे, मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार समेत कई अन्य नेता मौजूद थे।
बैठक के बाद रावसाहेब दानवे ने कहा, ”प्रदेश बीजेपी कार्यकरिणी ने एक प्रस्ताव पास कर मराठा आरक्षण को समर्थन दिया है। भाजपा सरकार मराठाओं के आरक्षण को समर्थन देने के पक्ष में है। मामला कोर्ट में है और हम राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट जल्द ही कोर्ट में पेश करेंगे और कोर्ट से जल्द फैसला देने की अपील करेंगे।”
मराठा आरक्षण मुद्दे पर 5 विधायकों का इस्तीफा
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अब तक महाराष्ट्र के पांच विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। महाराष्ट्र विधानसभा के सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के भरत भाल्के, भाजपा के राहुल अहेर और राकांपा के दत्तात्रेय भारणे ने शुक्रवार को विधायक पद से इस्तीफे दे दिया।
इससे पहले गुरुवार को शिवसेना के हर्षवर्धन जाधव और राकांपा के भाऊसाहब पाटिल चिकटगांवकर ने मराठा आरक्षण की मांग के समर्थन में इस्तीफा देने की पेशकश की थी। जाधव ने शुक्रवार सुबह विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को अपना इस्तीफा सौंपा। चिकटगांवकर ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को ईमेल के जरिये भेज दिया।
मराठा समुदाय के बंद बुलाने की वजह
गौरतलब है कि 25 जुलाई को मराठा समुदाय ने मुबंई, नवी मुंबई, अहमद नगर और ठाणे समेत कई इलाकों में शांतिपूर्ण बंद का आह्वान किया था। लेकिन इस दौरान जमकर हिंसा हुई। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी बस में तोड़फोड़ की, लोकल ट्रेन की आवाजाही को प्रभावित करने की कोशिश की गई, और आगजनी भी हुई। हालांकि बंद के दौरान हिंसा बढ़ती देख शाम को मुंबई में बंदी रोक आंदोलन वापस ले लिया गया। लेकिन कई जगहों पर बंद जारी रखा गया था।
इस हफ्ते मराठा आंदोलन ने अचानक तेजी पकड़ ली और उग्र रूप धारण कर लिया। इसके पीछे की वजह प्रदेश सरकार का वह एलान है जिसमें कहा गया कि राज्य में जल्द ही 72 हजार सरकारी नौकरियों आएंगी। मराठा समुदाय चाहता है कि इस भर्ती अभियान के पहले उनको आरक्षण मिल जाना चाहिए ताकि उनके समुदाय को किसी प्रकार का नुकसान ना हो। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इन नौकरियों में 16 फीसदी आरक्षण का भरोसा दिया है। 72 हजार नौकरियों में से 16 फीसदी सीटें मराठाओं के लिए रिक्त रखी जाएंगी। कोर्ट से आरक्षण पर हरी झंडी मिलने के बाद खाली 16 फीसदी सीटें मराठा उम्मीदवारों को दी जाएंगी। लेकिन आरक्षण आंदोलन करने वाले भर्ती रद्द करने की मांग कर रहे हैं।