जेवर हवाईअड्डा बनने का रास्ता हुआ साफ, 70 फीसद से अधिक किसान देंगे अपनी जमीन

नोएडा: जेवर में 200 से अधिक भू-मालिकों ने गौतमबुद्ध नगर जिले में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए अपनी जमीन देने पर शनिवार को सहमति व्यक्त की जिससे सहमति देने वाले प्रभावित परिवारों की संख्या 71 फीसद हो गई है. स्थानीय विधायक धीरेंद्र सिंह ने यह बात कही. भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित क्षतिपूर्ति अधिकार एवं पारदर्शिता अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार किसी भी ऐसी परियोजना में जमीन अधिग्रहण की दिशा में सरकार के आगे बढ़ने के लिए कम से कम 70 फीसद भू-मालिकों की सहमति अनिवार्य है.

ग्रीनफील्ड परियोजना के पहले चरण के दौरान पांच गांवों- रोही, पारोही, दयानतपुर, रन्हेरा और किशोरपुर की 1300 हेक्टयेर से अधिक जमीन का अधिग्रहण होना है.वैसे पूरे ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के लिए कुल 5000 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है.विधायक धीरेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘202 भूमालिकों ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणवीर सिंह और जिलाधिकारी ब्रजेश नारायण सिंह को अपना सहमति पत्र सौंप दिया है. ’

इससे पहले 10 सितंबर को 307 किसानों ने अपनी जमीन के अधिग्रहण के लिए सहमति दे दी थी. कुछ किसानों के शुरुआती विरोध के बाद जिले के अधिकारियों और विधायक लगातार गांवों का दौरा करते रहे. उत्तर प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए इन गांवों में जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. परियोजना की अनुमानित लागत 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये के बीच है. 

शुरुआत में किसानों द्वारा जमीन देने से इंकार करने के पीछे मुख्य वजह किसानों से किया गया वादा पूरा नहीं किया जाना, अपर्याप्त मुआवजा और अपनी पहचान खोने का डर है. किसान अपने क्षेत्र को शहरी क्षेत्र की श्रेणी में डाले जाने से भी नाराज हैं. यह वर्गीकरण उन्हें ‘सर्किल रेट’ का दोगुना मुआवजा पाने के योग्य बनाता है, जबकि भूमि अधिग्रहण पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना अधिनियम, 2013 के तहत कृषि भूमि के लिए चार गुना मुआवजे का प्रावधान है. 

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