चीन को मिली बड़ी कामयाबी यान ने चांद से उठाई मिट्टी, लेकिन वैज्ञानिकों को सता रहा हैं इस बात का डर…

करीब आधी सदी के बाद चीन ने पहली बार चांद की धरती से मिट्टी का सैंपल कलेक्ट किया है. अब उसका स्पेसक्राफ्ट चांगई-5 (Chang’e-5 Spacecraft) चांद की सतह से उड़ चुका है. मध्य दिसंबर तक यह स्पेसक्राफ्ट चांदी की दो किलोग्राम मिट्टी के साथ इनर मंगोलिया की धरती पर लैंड करेगा. ऐसी उम्मीद है कि ये स्पेसक्राफ्ट 17 दिसंबर तक धरती पर वापस आ जाएगा.

चांद से मिट्टी लाने का काम इससे पहले अमेरिका और रूस ने 1960 और 70 के दशक में किया था. चीन का चांगई-5 रोबोटिक स्पेसक्राफ्ट (Chang’e-5 Spacecraft) चांद पर ऐसी जगह पर उतरा है जहां पहले कोई मिशन नहीं भेजा गया. मंगलवार की रात चांगई-5 स्पेसक्राफ्ट (Chang’e-5 Spacecraft) ने चांद की सतह से टेकऑफ किया.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार चांगई-5 स्पेसक्राफ्ट (Chang’e-5 Spacecraft) के टेकऑफ के साथ ही चीन पहली बार इस तकनीक में महारथी हो जाएगा कि वह किसी अन्य अंतरिक्षीय ग्रह से अपने यान को उड़ा सके. चीन का स्पेसक्राफ्ट 1.5 किलोग्राम पत्थर और धूल चांद की सतह से ला रहा है. 500 ग्राम मिट्टी जमीन के 6.6 फीट अंदर से खोदकर ला रहा है.

अभी चीन के वैज्ञानिकों को एक ही डर है कि इतनी लंबी यात्रा के दौरान कहीं ऐसा न हो कि कैप्सूल में रखी मिट्टी स्पेसक्राफ्ट के यंत्रों से चिपक न जाए. धरती के वायुमंडल में घुसते ही यान को भारी गर्मी और घर्षण का सामना करना पड़ेगा. यह एक तनावपूर्ण पल होगा. इसकी वजह से यान के कई हिस्से ढीले हो सकते हैं.

चांगई-5 स्पेसक्राफ्ट (Chang’e-5 Spacecraft) 23 नवंबर की रात में साउथ चाइना सी से लॉन्च किया गया था. चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CNSA) ने चांगई-5 स्पेसक्राफ्ट (Chang’e-5 Spacecraft) को चांद की उस सतह पर उतारा था, जहां पर करोड़ों साल पहले ज्वालामुखी होते थे. ये चांद का उत्तर-पश्चिम का इलाका है, जो हमें आंखों से दिखाई देता है.

एक बार लैंडर और मिट्टी का सैंपल ऑर्बिटर पर पहुंच गया तो फिर वो उसे वापस आने वाले कैप्सूल में डाल देगा. जो 17 दिसंबर के आसपास मंगोलिया में लैंड कर सकता है. अगर यह पूरी जटिल प्रक्रिया सही से होती है चीन ऐसे करने वाला दुनिया का तीसरा देश बन जाएगा. चांद की मिट्टी से खनिज, अन्य गैसों, रासायनिक प्रक्रियाओं और जीवन की संभावनाओं पर रिसर्च करने में मदद मिलेगी. साथ ही यह भी पता चलेगा कि चांद का भविष्य कैसा होगा

सबसे पहले साल 1976 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अपोलो मिशन ने चांद की मिट्टी का सैंपल लिया था. उसके बाद सोवियत संघ ने. अमेरिका और सोवियत संघ के मिशन से धरती पर चांद से अब तक 380 किलोग्राम मिट्टी, पत्थर और अन्य सैंपल लाए जा चुके हैं. दुनिया भर के साइंटिस्ट चांद की सतह पर करोड़ों साल पहले हुई ज्वालामुखीय गतिविधियों की वजह से पड़ने वाले असर को जानना चाहते हैं. इसलिए वहां के मिट्टी की जांच की जा रही है

अमेरिकी और सोवियत संघ की मिट्टी की जांच करने पर पता चला था कि वहां पर अलग-अलग स्थानों पर मौजूद मिट्टी और पत्थरों की उम्र अलग-अलग है. कोई 300 से 400 करोड़ पुराने हैं तो कुछ 130 से 140 करोड़ साल पुराने. चांद की सतह पर ज्वालामुखीय गतिविधियां बेहद जटिल रही हैं. उन्हें मिट्टी के सैंपल से समझने में शायद मदद मिले

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