छगन भुजबल हॉस्पिटल से हुए डिस्चार्ज, 10 जून को पुणे में होगी रीलॉन्चिंग

मुंबई. शहर के केईएम हॉस्पिटल में भर्ती पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल को गुरुवार सुबह डिस्चार्ज कर दिया गया। छगन भुजबल को दो दिन पहले जमानत पर रिहा किया गया है। जेल से छूटने के बाद भुजबल पुन: राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार हैं। पार्टी के स्थापना दिवस पर 10 जून को पुणे में आयोजित कार्यक्रम और हल्ला बोल मुहिम में भुजबल अपने चिरपरिचित अंदाज में दिखाई देंगे।छगन भुजबल हॉस्पिटल से हुए डिस्चार्ज, 10 जून को पुणे में होगी रीलॉन्चिंग

पार्टी ने लगाया स्वास्थ्य से खिलवाड़ का आरोप

– राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने बुधवार को पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में बताया कि भाजपा सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद भुजबल का प्रभाव कम नहीं हुआ है। फिलहाल वे अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं, लेकिन अपने समर्थकों के बीच जाने के लिए बेताब हैं।
– आगे पटेल ने बताया कि पुणे में उनका पुराना अंदाज फिर हमारे सामने होगा। निश्चित रूप से भुजबल के साथ वर्तमान सरकार ने जो भी किया, वह उचित नहीं कहा जा सकता है। जेल में रहने के दौरान उनके स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ किया गया। न तो उनकी सही ढंग से जांच की गई और न ही उनका उचित इलाज किया गया। अंतत: जब पार्टी ने दवाब बनाया, तब जाकर उनकी उचित देखरेख हो सकी।

तटकरे लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

– सांसद प्रफुल्ल पटेल ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने को एक नियमित प्रक्रिया बताते हुए कहा कि सुनील तटकरे ने चार साल तक पार्टी की कमान संभाली है। अब उनको केंद्र की राजनीति में सक्रिय करने का निर्णय लिया गया है। वे आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार रहेंगे। इसके लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी है।
– जयंत पाटिल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष पद सौंपे जाने को सही बताते हुए उन्होंने कहा कि पाटिल एक मंझे हुए राजनेता हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी। उन्होंने महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे के कार्य की भी सराहना की।

उम्र का हवाला देकर मांगी गई थी जमानत

– बता दें कि भुजबल के वकील ने आवेदन में दावा किया था कि उनके मुवक्किल की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। वे पिछले दो साल से जेल में बंद थे। मामले की जांच पूरी हो चुकी है। इसके अलावा उनकी उम्र 71 साल है। इसलिए उनके जमानत आवेदन पर सहानुभूतिपूर्ण तरीके से विचार किया जाए। कोर्ट ने उम्र के तर्क पर भुजबल को जमानत दी है। जेल में करीब दो साल गुजारने के बाद भुजबल को राहत मिली है।
– पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के प्रावधानों को हटाए जाने के बाद भुजबल ने जमानत की अर्जी दाखिल की थी। इस प्रावधान को ऐक्ट से हटाए जाने के बाद कानून के तहत जेल में बंद लोगों को जमानत मिलना आसान हो गया है।

गवाहों को कर सकते हैं प्रभावित

– इससे पूर्व न्यायमूर्ति पीएन देशमुख के समक्ष प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने भुजबल की जमानत का विरोध किया। उन्होंने कहा कि भुजबल ने खुद पर लगे आरोपों को लेकर जो सफाई दी है वह आधारहीन है। इस आधार पर उन्हें जमानत नहीं प्रदान की जा सकती है।
– अनिल सिंह ने कहा कि जेल में बंद भुजबल राज्य के प्रभावशाली मंत्री रह चुके है। इस मामले को लेकर जो गवाह उनके खिलाफ बयान देने को राजी है भुजबल को जमानत मिलने के बाद उन गवाहों के बयान से पलटने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अभी भी इस मामले को लेकर ईडी की जांच जारी है। इसलिए भुजबल को जमानत देना उचित नहीं होगा।

मां संग बेचते थे सब्जी

– राजनीति में आने के पहले छगन भुजबल मुंबई के भायखला सब्जी मंडी में अपनी मां के साथ सब्जी और फल बेचा करते थे।
– मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद बाल ठाकरे के विचारों से प्रभावित होकर भुजबल शिवसेना से जुड़े। वे पहली बार 1973 में शिवसेना से पार्षद का चुनाव लड़े और जीते।

‘क्लीन मुंबई’ के लिए चलाया अभियान

– 1973 से 1984 के बीच छगन मुंबई के पार्षदों में सबसे तेज तर्रार नेता माने जाते थे। जिसकी बदौलत वे दो बार मुंबई महानगरपालिका के मेयर भी रहे।
– मेयर रहते हुए छगन ने ‘सुन्दर मुंबई, मराठी मुंबई’ के नाम से अभियान भी चलाया था। इस अभियान के तहत छगन ने मुंबई को सुन्दर बनाने के लिए कई कड़े कदम उठाए जो मीडिया की सुर्खियां बने।

नाराज होकर छोड़ी शिवसेना

– 1985 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी बाला साहब ने उन्हें मुंबई महानगरपालिका के मेयर की ज़िम्मेदारी दी।
– लेकिन 1991 में बाला साहब संग उभरे मतभेद के बाद भुजबल ने शिवसेना छोड़ दी और कांग्रेस के साथ जुड़े।
– बाद में वे 1999 में कांग्रेस से अलग होकर शरद पवार के नेतृत्व में बनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) से जुड़ गए।
– कांग्रेस-एनसीपी सरकार में वे पहली बार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बनाए गए।

करोड़ों की संपत्ति के मालिक

– भाजपा नेता किरीट सोमैया का दावा है कि भुजबल के पास ढाई हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है।
– छगन भुजबल ने अपने पूरे राजनीतिक करियर में नासिक, येवला, मुंबई, मझगांव शहरों से चुनाव लड़ा था।
– छापे में मिली संपत्ति के अनुसार जिन शहरों में छगन ने चुनाव लड़ा वहां करोड़ों की संपत्ति भी बनाई।
– कुछ दिनों पहले एंटी करप्शन ब्यूरो ने मुंबई, ठाणे, नासिक और पुणे में छापे मारे थे जहां छगन और उनके परिवार के नाम अरबों की संपत्ति मिली थी।

बेटे के पास 100 करोड़ का बंगला

– छापे के दौरान उनके बेटे पंकज के नाम पर नासिक में 100 करोड़ रुपए का बंगला मिला था। 46,500 वर्गफुट में फैले इस बंगले में 25 कमरे, स्विमिंग पूल और जिम भी है।
– भुजबल के 28 ठिकानों पर छापा मारा गया था। इसमें पुणे में भी उनकी करोड़ों रुपए की संपत्ति मिली थी।
– लोनावला में 2.82 हेक्टेयर में फैले छह बेडरूम वाले बंगले में हेलिपैड, स्विमिंग पूल के साथ विदेशी फर्नीचर और प्राचीन मूर्ति मिली थी।

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