आप की खींचतान के बीच चीमा के खुले भाग्य, सिर्फ दो साल के सियासी सफर में बने नेता प्रतिपक्ष
संगरूर। अाम अादमी पार्टी में उठा-पटक के बीच दिड़बा सीट से विधायक हरपाल सिंह चीमा के लिए यह जैसे लॉटरी निकलने सरीखा था। उनको सुखपाल सिंह खैहरा की जगह पंजाब आप विधायक दल का नेता और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने के आम आदमी पार्टी के नेतृत्व के निर्णय ने सबको चौंका दिया। राजनीति में एडवोकेट चीमा की कामयाबी का ग्राफ ऐसे में कमला का हाे गया है।
उनका राजनीतिक करियर महज दो साल का है। मुख्य रूप से संगरूर में वकालत करने वाले चीमा को आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में दिड़बा आरक्षित सीट से मैदान में उतारा था। उन्होंने कांग्रेस के अजैब सिंह रटोलां को करीब 1600 वोटों से हराकर जीत प्राप्त की थी। वह पार्टी के लीगल सेल के प्रमुख भी हैं।
पेशे से वकील चीमा दिड़बा आरक्षित सीट से हैैं विधायक
एडवोकेट चीमा दिल्ली के विधायक नरेश यादव के मालेरकोटला में कुरान शरीफ की बेअदबी करने के मामले काे मुख्य वकील के तौर पर केस लड़ रहे हैं। यादव का वकील बनने के बाद उनके राजनीतिक करियर ने रफ्तार पकड़ी। पार्टी की दिल्ली लीडरशिप में भी उनकी अच्छी पैठ है।
पार्टी ने चीमा को नेता प्रतिपक्ष बनाकर एससी वर्ग को खुश करने का कार्ड खेला है। वहीं, सांसद भगवंत मान की नाराजगियों को देखते हुए संसदीय चुनावों के लिए संगरूर में विकल्प तैयार करने की भी कोशिश की है। हालांकि, चीमा के लिए नई राह आसान नहीं होने वाली है क्योंकि उनके आगे आप के बड़े नेता चुनौती बनकर सामने होंगे।
सभी को साथ लेकर चलना लक्ष्य : चीमा
एडवोकेट चीमा ने कहा कि वह पार्टी द्वारा लिए गए फैसले को स्वीकार करते हैं। पार्टी में इस समय चल रही मुश्किलों को हल करने के लिए वह सभी विधायकों व वर्करों को साथ लेकर चलेंगे। पार्टी व विधायक दल द्वारा दी गई बड़ी जिम्मेदारी को मेहनत व ईमानदारी से निभाएंगे।
खैहरा हमारे सीनियर नेता
सुखपाल खैहरा को नेता प्रतिपक्ष पद से हटाए जाने पर चीमा ने कहा कि खैहरा उनके सीनियर नेता हैं। उन्हें साथ लेकर चलने का वह हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने पार्टी में गुटबंदी को नकारते हुए कहा कि सभी पार्टी वर्कर अरविंद केजरीवाल के सिद्धांतों पर चलने के लिए तैयार हैं। इसलिए पार्टी दोबारा फिर बड़ी ताकत बनकर सामने आएगी।
विधानसभा में उठाएंगे मुद्दे
चीमा ने कहा कि कांग्रेस नेचुनावों के दौरान बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने कोई भी वादा पूरा नहीं किया। पंजाब में बढ़ रहे नशे, रेत माफिया के मामले, किसानों की आत्महत्याओं का मामला वह लोगों के बीच लेकर जाएंगे। वह विधानसभा में भी ये मुद्दे उठाएंगे और पंजाब सरकार द्वारा चुनावों के दौरान किए वादे की याद दिलाते रहेंगे।