केंद्र सरकार का बड़ा फैसला: अब देश में ही बनेंगे लड़ाकू विमान, नई नीति की घोषणा अगले महीने
दुनिया के शीर्ष पांच सैन्य उपकरण उत्पादक देशों में शुमार होने का लक्ष्य
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके बाद इसे मंजूरी के लिए केंद्रीय कैबिनेट में पेश किया जाएगा। रक्षा उत्पादन नीति (डीपीपी-2018) का मुख्य फोकस सेना के लिए लड़ाकू विमान, युद्धक हेलीकॉप्टरों और हथियारों का देश में ही उत्पादन पर रहेगा। साथ ही इसके लिए जरूरी तकनीक विकसित करने के लिए पर्याप्त संसाधनों के निवेश पर भी ध्यान दिया जाएगा।
नई नीति का मकसद सभी बड़े प्लेटफार्म को देश में ही विकसित करने पर होगा। इन्हें पिछले छह दशकों से आयात किया जा रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार साल में भारत ने कई सैन्य उपकरणों और हथियारों के लिए विदेशी और घरेलू कंपनियों के साथ 2.40 लाख करोड़ रुपये के 187 करार किए हैं। हालांकि इनमें से ज्यादातर प्रोजेक्ट में देरी हुई है।
वर्ष 2025 तक टर्नओवर 1.70 लाख करोड़ रुपये पहुंचाना लक्ष्य
नई नीति के मसौदे के अनुसार, सरकार का लक्ष्य वर्ष 2025 तक सैन्य साजोसामान और सर्विसेज के टर्नओवर को 170000 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है।
दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य हार्डवेयर आयातक देश
स्वीडन के एक थिंक टैंक ने मार्च में अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पिछले पांच वर्षों में भारत सैन्य हार्डवेयर का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश बना हुआ है। इसके मुताबिक, 2004-08 की तुलना में पिछले पांच साल में बड़े हथियारों के आयात में 111 फीसदी की वृद्धि हुई है।
खरीद प्रक्रिया को बनाया जाएगा सरल
अधिकारियों ने बताया कि नई नीति में खरीद प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। साथ ही तमाम मंजूरी लेने की अनिवार्यता को खत्म किया जाएगा जिससे प्रोजेक्ट में देरी होती है।
12 सैन्य प्लेटफार्म चुने गए
मार्च में जारी नीति के मसौदे में 2025 तक सैन्य उपकरणों और सर्विसेज में 35,000 करोड़ रुपये के निर्यात को प्रमुख लक्ष्य बनाया गया था। सरकार ने आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए देश में उत्पादन के लिए 12 सैन्य प्लेटफार्म और हथियार सिस्टम्स तय किए हैं। इनमें लड़ाकू विमान, मीडियम लिफ्ट एंड यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, युद्धपोत, लैंड कॉम्बैट वाहन, मिसाइल सिस्टम्स, गन सिस्टम्स, छोटे हथियार, विस्फोटक, निगरानी प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (ईडब्ल्यू) सिस्टम्स और रात में लड़ाई में मददगार साजोसामान आदि शामिल हैं।