CBSE 12th रिजल्टः पिता का साया नहीं, लेकिन पक्के इरादे से पाया मुकाम
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बहुत कुछ खिलाफ था लेकिन किसी को भी रास्ता रोकने नहीं दिया। हौसला हो तो राही अपनी मंजिल खोज ही लेता है। तो आइये बात करते हैं कुछ ऐसी ही बहादुर बेटियों की, जिन्होंने खुद लिखी अपनी सफलता की कहानी…
यह खबर जैसे ही स्मृति और उसकी मां अंजू सती को पता चली तो स्मृति की आंखों में आंसू आ गए। वह बोल उठी, काश आज पापा होते तो कितने खुश होते।
मूलत: चमोली निवासी स्मृति सती ने आठवीं तक की पढ़ाई पहाड़ के हिंदी माध्यम के स्कूल से की। नौवीं कक्षा में दून के अंग्रेजी स्कूल जिम्प पायनियर में दाखिला लिया तो शुरूआत में चीजें सिर के ऊपर से निकली। पहले यूनिट टेस्ट में बुरी तरह फेल हुई और कक्षा में आखिरी स्थान पर रही। स्मृति हौसला हारने लगी तो पापा ने हिम्मत बढ़ाई।
स्मृति के पिता हमेशा चाहते थे कि वह एक दिन अंग्रेजी माध्यम स्कूल से पढ़कर नाम रोशन करे। परीक्षा का समय आया तो उससे ठीक पहले पिताजी का देहांत हो गया।
रविवार को जब रिजल्ट आया तो खुशी का ठिकाना न रहा। स्मृति ने 90 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास की। स्मृति का सपना अब कामयाब आईएएस अधिकारी बनने का है। वह कहती हैं कि उनके पापा हमेशा चाहते थे कि वह आईएएस अधिकारी बनकर पहाड़ की सेवा करे।
अब इसके लिए मेहनत करेंगी और एक दिन जरूर आईएएस बनेगी। स्मृति के मुताबिक भले ही आपका आठवीं तक माध्यम हिंदी रहा हो लेकिन मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। आज स्मृति उन सभी बेटियों के लिए मिसाल है जो कि हालात से हारकर रास्ता बदल लेती हैं। स्मृति जिंप पायनियर स्कूल में पढ़ती है।