शायरी के शौकीन अमित शाह ने इस तरह तय किया है उपलब्धियों का सफर

भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह के मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चा इस समय जोरों पर है। माना जा रहा है कि आज शाम नरेंद्र मोदी और अन्‍य मंत्रियों के साथ वे भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ लेंगे। चर्चा यह भी है कि शाह के कद और उपलब्धियों को देखते हुए उन्‍हें कोई बड़ी मिनिस्‍ट्री दी जा सकती है। ऐसे में सबकी निगाहें अब उनके प्रोफाइल पर हैं। लोग यह जानना चाहते हैं कि किस तरह भाजपा के एक सामान्‍य कार्यकर्ता से उन्‍होंने इतनी उपलब्धियों तक का सफर तय किया है-

अमित शाह का जन्म 22 अक्तूबर 1964 को मुंबई के एक गुजराती परिवार में हुआ था। सोलह वर्ष की आयु तक वह पैतृक गांव मान्सा, गुजरात में ही रहे। वहीं स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उनका परिवार अहमदाबाद चला गया। अमित शाह की पत्नी का नाम सोनल शाह और एकलौते पुत्र का नाम जय शाह है। शाह अपनी मां के बेहद करीब थे, जिनकी मृत्यु 8 जून 2010 को हो गई।

14 की उम्र में संघ में शामिल
14 वर्ष की छोटी आयु में शाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए। यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत समझी जाती है। गांधीनगर के एक छोटे से शहर मनसा में उन्होंने यह शुरुआत ‘तरुण स्वयंसेवक’ के रूप में की थी। बाद में अमित शाह कॉलेज की पढ़ाई के लिए अहमदाबाद आए, जहां उन्होंने एबीवीपी की सदस्यता ली। साल 1982 में बायो-केमेस्ट्री के छात्र के रूप में अमित शाह अहमदाबाद में छात्र संगठन एबीवीपी के सचिव बन गए। इसके बाद वो भाजपा की अहमदाबाद इकाई के सचिव बने और 1997 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बने। इसके बाद भाजपा प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष बनाए गए।

1982 में नरेंद्र मोदी से मुलाकात
साल 1982 में उनके अपने कॉलेज के दिनों में शाह की मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई थी। ये दोस्ती समय के साथ मजबूत होती चली गई। अमित शाह को साल 1991 में पहला बड़ा मौका उस समय मिला, जब लाल कृष्ण आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में उन्हें चुनाव प्रचार करने की जिम्मेदारी मिली। अमित शाह को दूसरा मौका साल 1996 में मिला, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ना तय किया। इस चुनाव में भी उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला।

और… भाजपा की चुनावी मशीन बन गए
1989 से 2014 के बीच शाह गुजरात राज्य विधानसभा और विभिन्न स्थानीय निकायों के लिए 42 छोटे-बड़े चुनाव लड़े, लेकिन वे एक भी चुनाव में पराजित नहीं हुये। पेशे से स्टॉक ब्रोकर अमित शाह ने 1997 में गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से उप चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 2003 से 2010 तक उन्होंने गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृहमंत्रालय का जिम्मा भी संभाला। साल 2012 में नारनुपरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से अमित शाह विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने तीन बार सरखेज विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। वे गुजरात के सरखेज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार क्रमश: 1997 (उपचुनाव), 1998, 2002 और 2007 से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं।

2019 में 2014 से भी बड़ी जीत दिलाई
सोलहवीं लोकसभा चुनाव के लगभग 10 महीने पहले अमित शाह को बीजेपी के उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया, तब प्रदेश में भाजपा की मात्र 10 लोक सभा सीटें ही थीं। उनके संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व क्षमता का अंदाजा तब लगा, जब 16 मई 2014 को सोलहवीं लोकसभा के चुनाव परिणाम आए। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में 71 सीटें हासिल कीं और उसके सहयोगियों को दो सीटें मिलीं। इस तरह एनडीए को कुल मिलाकर 73 सीटें मिलीं। 2014 में भारतीय जनता पार्टी को शानदार जीत दिलाने के बाद भी अमित शाह रुके नहीं, उन्होंने पार्टी अध्यक्ष के तौर पर बीजेपी को 2019 में 2014 से भी बड़ी जीत दिलाने का करिश्मा कर दिखाया है। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी की कामयाबी के पीछे शाह की रणनीति को महत्वपूर्ण माना गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने पूरे देश में करीब 500 चुनाव समितियों का गठन किया और करीब 7000 नेताओं को तैनात किया। उन्होंने पार्टी के चुनाव अभियान में ऐसी 120 सीटों पर खास ध्यान दिया, जहां बीजेपी 2014 के चुनाव में दूसरे स्‍थान पर थी।

शाह को आखिर मोदी क्‍यों बनाना चाहते हैं मंत्री?
अमित शाह ने विधानसभा चुनाव में 93 हजार किलोमीटर और अध्यक्ष बनने के बाद अगस्त 2014 से सितंबर 2018 तक देशभर में सात लाख 90 हजार किलोमीटर की यात्रा की है। उन्होंने भाजपा को देश भर में मजबूत बनाने में अहम भूमिका अदा की है। राजनीति पर नजर रखने वालों और पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि वाजपेयी और आडवाणी की ही तरह उन्होंने नरेंद्र मोदी को राजनीति के राष्ट्रीय फलक पर लाने में मदद की।

वास्‍तव में मोदी और शाह एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। वो दशकों से एक साथ रहे हैं। वो एक जैसा सोचते हैं। वो एक परफेक्ट टीम की तरह काम करते हैं। वे जीवन और राजनीति के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण रखते हुए दिख सकते हैं, लेकिन वे दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। 2014 और 2019 की जीत का श्रेय मोदी ने उन्हें ही दिया है।

शायरी के शौकीन हैं शाह
अमित शाह के राजनीतिक सफर पर किताब लिखने वाले अनिर्बान गांगुली व शिवानंद द्विवेदी के अनुसार अमित शाह कैफी आजमी और साहिर लुधियानवी की शायरी के मुरीद हैं। ज्योतिष व अध्यात्म में उनकी गहरी रुचि है। खाने-पीने के शौकीन हैं। उन्हें पकौड़े पसंद हैं। वे नियमित डायरी भी लिखते हैं।

नाम
अमित शाह

जन्म दिन
22 अक्तूबर 1964

जन्म स्थान
मुंबई

पेशा
राजनीतिज्ञ और व्यापारी

शिक्षा
बायोकेमिस्ट्री में बीएससी

नागरिकता
भारतीय

पिता
अनिल चन्द्र शाह

माता
कुसुम बेन

पत्नी
सोनल शाह

पुत्र 
जय शाह

पुत्र वधु
ऋषिता

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