इलाज के दौरान क‍िडनी न‍िकालने के मामले में हॉस्प‍िटल को नोट‍िस, CMO की जांच र‍िपोर्ट में हुआ ये खुलासा

लखनऊ.राजधानी के न्यू यूनाइटेड हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर में बीते रव‍िवार को एक पेशेंट की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। आरोप है क‍ि इलाज के दौरान डॉक्टरों ने क‍िडनी न‍िकाल ली। सीएमओ के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सोमवार को हॉस्प‍िटल में इंस्पेक्शन करने पहुंचे। जांच टीम में एसीएमओ डॉ. सुनील रावत, डॉ. राजेन्द्र चौधरी शामिल थे। हॉस्पिटल में इंस्पेक्शन के दौरान काफी खामियां पाई गई। यहां पर लोहिया हॉस्पिटल से सस्पेंड चल रहे डॉ. एके श्रीवास्तव पेशेंट की सर्जरी कर रहे थे। हॉस्पिटल का कोई भी स्टाफ सीएमओ ऑफिस से रजिस्टर्ड नहीं था। ईएमओ से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ कोई भी ट्रेंड नहीं था। हॉस्पिटल को नोटिस जारी कर जवाब -तलब किया गया है। इलाज के दौरान क‍िडनी न‍िकालने के मामले में हॉस्प‍िटल को नोट‍िस, CMO की जांच र‍िपोर्ट में हुआ ये खुलासा

आगे पढ़‍िए इंस्पेक्शन में क्या-क्या म‍िली खाम‍ियां…

-हॉस्पिटल में सोमवार को कुल 6 पेशेंट एडमिट पाए गए। इन सभी का ट्रीटमेंट आर्थोपेडिक के डॉ. कुणाल भल्ला, फिजिशियन डॉ. कोमल गुप्ता, गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. निधि कटियार, ईएनटी डॉ. नीरज टण्डन, ऑन्कोलॉजिस्ट के अंडर में ट्रीटमेंट चल रहा था। सभी को बिना किसी आवश्यकता के मॉनिटर पर रखा गया था।
-हॉस्पिटल के दस्तावेज चेक करने पर पाया गया कि कोई भी डॉक्टर सीएमओ ऑफिस से प्रैक्टिस के लिए रजिस्टर्ड नहीं है। ईएमओ से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ सभी अनट्रेंड प्रैक्टिसनर्स पाए गए।
-पूछताछ में बताया गया कि हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन काफी टाइम पहले ही कैंसिल किया जा चुका है।
-रविवार को जिस पेशेंट की डेथ हुई थी। उसका ऑपरेशन लोहिया हॉस्पिटल से सस्पेंड चल रहे डॉ. एके श्रीवास्तव ने किया था।

ये द‍िए गए निर्देश

-स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने हॉस्पिटल के मालिक एसएमजे अशरफ और डॉक्टर समेत सभी स्टाफ को निर्देश द‍िया गया वे इंडोर के पेशेंट को न तो कहीं शिफ्ट करें और ना ही उनके ट्रीटमेंट के डॉक्युमेंट्स में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ करें।
-सीएमओ डॉ. जीएस वाजपेई के मुताबिक, न्यू यूनाइटेड हॉस्पिटल को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

ये है पूरा मामला…

– मामला मडियांव रोड स्थित न्यू यूनाइटेड हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर का है। यहां 10 सितंबर को सीतापुर जिले के रामकोट थानाक्षेत्र के चिनहार गांव का रहने वाले रामचंद्र (55) पेट में दर्द को लेकर एडमिट हुआ था।
– परिजनों के बीमारी के बारे में पूछने पर डॉक्टरों ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया। पहले ट्रीटमेंट के लिए 20 हजार रुपए फीस जमा करवाई।
– करीब 1 हफ्ते तक हॉस्पिटल में पेशेंट का ट्रीटमेंट चला। इस दौरान परिजनों ने 50 हजार रुपए और जमा किए।
– रविवार सुबह अचानक डॉक्टरों ने पेशेंट को वार्ड से बाहर निकाल दिया। पूछने पर बताया गया कि उसकी मौत हो गई है। इसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया।

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परिजनों ने लगाया किडनी निकलने का आरोप

– मृतक के परिवार में पत्नी रानी, 4 बेटे नीरज, रजनीश, गुड्डू, आशीष और दो बेटियां हैं। जिनकी शादी हो चुकी है।
– मृतक के बेटे नीरज का आरोप है, ”पिता के सीने में दर्द था। इलाज के बहाने किडनी के पास सर्जरी कर डाली। हालत बिगड़ने से उनकी मौत हुई है।”
– ”एडमिट होने के कुछ दिनों के बाद ही मौत ही हो गई थी, लेकिन ज्यादा फीस के लालच में वेंटिलेटर पर रखकर ट्रीटमेंट का नाटक किया गया।”
– ”ट्रीटमेंट के चक्कर में 2 बीघा जमीन भी बेचनी पड़ गई। उसके बाद भी डाक्टरों का पैसे की डिमांड करना बंद नहीं हुआ। जब उन्हें लगा हमारे पास पैसे नहीं है, तब उन्होंने बाहर निकाल दिया।”

हॉस्पिटल के डॉक्टर ने द‍िया ये जवाब

– हॉस्पिटल के डॉक्टर आर रमेश के मुताबिक, ”पेशेंट की डेथ इलाज में लापरवाही से नहीं हुई है। उसे लीवर सिरोसिस की बीमारी थी।”
– ”इसी वजह से उसकी मौत हुई है। पैसे के लिए डेडबॉडी को रोके रखने और किडनी निकालने का आरोप बेबुनियाद है।”
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