यूपी में काली कमाई के धन कुबेरों पर गिरी गाज, 150 से अधिक अफसर जाएंगे जेल

यूपी में काली कमाई के धन कुबेरों के बुरे दिन आने वाले हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली योगी सरकार ने डेढ़ सौ से अधिक भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं. इतना ही नहीं अब उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ेगी.

गृह व गोपन विभाग ने आर्थिक अपराध शाखा को आदेश जारी कर दिया है कि भ्रष्टाचार में शामिल डेढ़ सौ अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए. जिसकी संस्तुति भी कर दी गई है. ऐसे में साफ है कि अब राशन घोटाले से लेकर खाद्यान्न घोटाले और क्षतिपूर्ति घोटाले से लेकर अन्य घोटालों में जनता के पैसे को हजम करने वाले अफसरों को जेल जाना होगा. सरकार ने इसके लिए आर्थिक अपराध शाखा को अलग से थाना बनाकर उसमें एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है, जिससे पूरे मामले की जांच में गोपनीयता बनी रहे.

यूपी की बीजेपी सरकार ने सत्ता में आने के बाद सबसे पहले जीरो टॉलरेंस की बात की थी और कई अफसरों को अनियमितता के आरोप में जबरन रिटायर कर दिया था. लेकिन सीएम योगी ने एक माह पहले समीक्षा बैठक की तो इस बात का अंदाजा लगा कि 450 से अधिक भ्रष्टाचार की फाइलें लंबित है और भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाई नहीं हो रही है.

सीबीसीआईडी, ईओडब्ल्यू, एंटी करप्शन समेत कई जांच एजेंसियों ने यूपी के भ्रष्ट अफसरों और माननीयों के भ्रष्टाचार की काली फाइलों को छुपा कर रखा है. जिसके बाद सीएम योगी ने 2 माह के अंदर इन सभी फाइलों का निस्तारण कर कार्यवाई करने की बात कही और रिपोर्ट भी तलब किया. साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में और प्रमुख सचिव गृह की निगरानी में एक समिति बनाई गईऔर पड़ताल शुरू की गई.

सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा, ‘योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम कर रही है. जो भी अफसर इसमें शामिल हैं, उनके खिलाफ एफआईआर कर जेल भेजने की कार्रवाई की जाएगी. अभी 144 मामलों पर एफआईआर होगी. जिसकी संस्तुति भी सरकार ने कर दी है और आर्थिक अपराध शाखा इकाई मुकदमा पंजीकृत कर कार्यवाई करेगी.’

कुल मिलाकर साफ है कि अब यूपी में भ्रष्टाचार और अनियमितता में शामिल काली कमाई के कुबेरों पर सरकार का हंटर चलेगा. एफआईआर तो दर्ज होगी ही, साथ ही उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ेगी. पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से यूपी की कई जांच एजेंसियों में अपने रसूख और सत्ता के पहुंच के चलते कई बड़े अफसरों और नेताओं ने अपनी फाइलों को नोटों और राजनीतिक ताकत के चलते दबाकर रखा था.

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