दिल्ली विस में ‘आप’ को घेरेगी भाजपा, होगा ये बड़ा मुद्दा
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा का पांच दिवसीय सत्र शुरू हो गया है। कई मुद्दों पर सरकार और विपक्ष में टकराव होना तय माना जा रहा है। भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि एक तरफ अवैध बांग्लादेशी भारत के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं, वहीं आम आदमी पार्टी NRC के मुद्दे पर केंद्र सरकार की खिलाफत कर रही है। गुप्ता ने कहा कि उन्होंने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत इस मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा कराए जाने की मांग की है। वे चाहते हैं कि सरकार इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पास करे। सरकार अवैध राशन कार्डों की जांच करे और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को दिल्ली से बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
घुसपैठियों को निकालना जरूरी
इससे पहले रविवार को दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा था कि राजधानी से घुसपैठियों को निकालना जरूरी है। इसलिए सरकार उनकी पहचान कर उनके मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड रद करे। उन्होंने कहा था कि महिलाओं के सम्मान को लेकर मुख्यमंत्री और उनके मंत्री पाखंड कर रहे हैं। जहां मुख्यमंत्री एक रैली में महिलाओं के सम्मान की दुहाई दे रहे थे, वहीं उनके मंत्री कैलाश गहलोत ने वरिष्ठ आइएएस अधिकारी वर्षा जोशी के साथ बैठक में अपमानजनक व्यवहार किया है।
केजरीवाल सरकार की सच्चाई सामने लाई जाएगी
गुप्ता ने कहा था कि दिल्ली सरकार बिना टेंडर के 1000 बसें किराये पर लेने के लिए ठेका दिए जाने की तैयारी में है। इससे भ्रष्टाचार की बू आ रही है और भाजपा इस मामले को सदन में उठाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि रद किए गए 2.97 लाख राशन कार्ड के स्थान पर नए राशन कार्ड जारी करने, पांच हजार नए व्हीकल फिटनेस सेंटर खोलने की शुरुआत तक न होने, सीसीटीवी कैमरों को लेकर हो रही सियासत, डोर टू डोर स्टेप डिलीवरी लागू न होने, अनधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्य न होने, आम आदमी कैंटीन न खुलने जैसे जनहित के महत्वपूर्ण विषयों पर केजरीवाल सरकार की सच्चाई सामने लाई जाएगी।
300 प्रश्नों का मांगा जवाब
भाजपा नेता ने बताया कि विपक्ष ने सरकार से जनहित से जुड़े 62 विषयों पर लगभग 300 ज्वलंत प्रश्नों का जवाब मांगा है। इसके अतिरिक्त लोक महत्व के 13 विषयों पर विधानसभा में चर्चा के लिए विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल जैसी संस्थाओं से बार-बार फटकार खाने के बाद भी सरकार वास्तविकता का सामना नहीं करना चाहती। धरातल पर जनहित के काम नहीं हो रहे हैं।