Birthday Special: भारत की मशहूर स्पिन की पोलियो से सूखी बाजू, लेकिन खामी बनी खूबी

महज 19 की औसत से 98 विकेट लेकर भारत को 14 टेस्ट मैच जिताए. जिनमें शामिल हैं 42 विकेट जिनकी बदौलत विदेशी धरती पर 5 टेस्ट जीत मिली. विदेशों में भारत की जीत का सूखा खत्म हुआ. यह कारनामा करने वाले वाले स्पिन के जादूगर भगवत चंद्रशेखर आज 74 साल के हो गए. चंद्रशेखर ने अपने टेस्ट करियर (1964-79) के दौरान 58 टेस्ट मैचों में 29.74 की औसत से 242 विकेट चटकाए.

बाई बांह कमजोर पड़ चुकी थी

17 मई 1945 को मैसूर (कर्नाटक) में पैदा हुए चंद्रशेखर बचपन में पोलियो के शिकार हो गए थे. जिससे उनकी बाई बांह कमजोर पड़ चुकी थी. लेकिन चंद्रशेखर की यही खामी खूबी में बदल गई. उनकी कलाई गेंद फेंकते वक्त ज्यादा मुड़ जाती थी, जो उन्हें सामान्य स्पिनरों से अलग करती थी. वास्तव में सबसे तेज लेग-ब्रेक बॉलर रहे, जिसके कारण अच्छे-अच्छे बल्लेबाज आसानी से आउट हो जाते थे.

गेंदबाजी किसी पहेली से कम नहीं

भारत की मशहूर स्पिन चौकड़ी (चंद्रा, बेदी, प्रसन्ना, वेंकटराघवन) में से एक रहे चंद्रा लंबी बाउंसिंग रन-अप के बाद तेज गुगली फेंकते थे. उनका खेल कभी-कभी पहेली-सा लगता था. यहां तक कि वे खुद भी हैरान रह जाते थे (ऐसा उन्होंने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था). पहले दिन बल्लेबाजों के लिए बहुत आसान होते थे, तो दूसरे दिन बड़े खतरनाक हो जाते थे.

इंग्लैंड की धरती पर पहला टेस्ट जिताया

उन्होंने कई बार अपनी गेंदबाजी से मैच का रुख बदल दिया. जिनमें शामिल है भारतीय क्रिकेट के इतिहास का यादगार मुकाबला- जब भारत ने 1971 में ओवल टेस्ट जीतकर इंग्लैंड की धरती पर पहला टेस्ट जीता और सीरीज पर कब्जा जमाया. चंद्रा ने 38 रन देकर 6 विकेट हासिल किए, जिससे इंग्लैंड की दूसरी पारी 101 रन पर सिमट गई.

ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट विजय दिलाई

इसके अलावा चंद्रशेखर ने 1978 में ऑस्ट्रेलिया की धरती पर भारत को पहली टेस्ट जीत दिलाई. उस मेलबर्न टेस्ट में उन्होंने 104 रन देकर 12 विकेट झटके थे. संयोग देखिए- पहली पारी में 52 रन देकर 6 विकेट लिए, वहीं दूसरी पारी में भी उन्होंने 52 रन देकर 6 विकेट लिए. चंद्रा की इसी प्रदर्शन की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को बड़े अंतर से मात दी.

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