बिहार बना आतंकियों का महफूज ठिकाना, यहां ‘स्‍लीपर सेल’ रच रहे दहशत की साजिश

बिहार के अंतरराष्‍ट्रीय पर्यटक स्‍थल बोधगया में बम धमाके के ठीक तीन दिन बाद पटना की रेकी कर दिल्ली गए इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) आतंकी अब्‍दुल सुभान कुरैशी को वहां गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्‍या बिहार आतंकवादियों के लिए सेफ जोन बन गया है? बिहार पुलिस ने भी स्‍वीकार किया है कि यहां कई जगह आतंकियों के स्‍लीपर सेल काम कर रहे हैं। वे बिहार में कई आतंकी वारदातें कर चुके हैं।

बिहार बना आतंकियों का महफूज ठिकाना, यहां 'स्‍लीपर सेल' रच रहे दहशत की साजिश

एक नजर, कुछ प्रमुख घटनाओं पर

साल 2013 के 27 अक्टूबर को पटना के गांधी मैदान में वर्तमान प्रधानमंत्री ‘हुंकार रैली’ कर रहे थे। इसी दौरान गांधी मैदान सहित पटना में कई जगह सिलसिलेवार धमाके हुए। उसी साल सात जुलाई को अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थ ल बाेधगया सीरियल ब्लास्ट से दहल उठा।

साल 2013 के 27 अगस्त को आइएम आतंकी यासीन भटकल बिहार से ही गिरफ्तार किया गया। अहमदाबाद ब्लास्ट के आरोपी आइएम आतंकी तौसीफ की गिरफ्तारी भी बिहार के गया से बीते साल हुई। फिर, साल 2018 के 19 जनवरी को बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर को दहलाने की साजिश नाकाम रही। इसके तीन दिनों बाद ही आइएम आतंकी अब्दुल सुभान कुरैशी दिल्ली में पकड़ा गया।

दहलने से बच गया पटना

पुलिस सूत्रों के अनुसार वह दिल्‍ली भी किसी बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए गया था। सॉफ्टवेयर इंजीनियर कुरैशी बम बनाने में उस्‍ताद है। पुलिस को उसकी तलाश दिल्‍ली, अहमदाबाद व बेंगलुरु बम धमाकों में तो थी ही, लेकिन उसने पूछताछ के दौरान यह खुलासा कर सनसनी फैला दी है कि उसने आतंकी वारदात के लिए पटना के कई स्‍थलों की रेकी की थी। उसकी गिरफ्तारी के कारण पटना दहलने से बच गया।

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सवाल उठता है कि बिहार में आतंकवाद की जड़ें कहां-कहां और कितनी गहरी हैं? एडीजी (मुख्‍यालय) एसके सिंघल मानते हैं कि बिहार में आतंकी संगठनों के स्‍लीपर सेल हैं। वे कहते हैं कि आतंकी संगठन जगह जगह अपने स्लीपर सेल रखते हैं। उन्‍हें जब जरूरत होती है, इन स्‍लीपर सेल्‍स को सक्रिय कर वारदात करते हैं। उन्‍होंने माना कि बिहार में आतंकियों की गिरफ्तारी का अर्थ है कि यहां आतंकी हैं।

एडीजी एसके सिंघल की बात को ही मानें तो बिहार पुलिस ने कई ऐसी बड़ी आतंकी वारदातों को रोकने में सफलता पाई है, जो चर्चा में नहीं आईं। इस बयान का मतलब यह भी है कि बिहार में आतंकियों ने और साजिशें भी रचीं थीं, जो नाकाम हो गईं। ये साजिशें बिहार में आतंकवाद की और गहरी जड़ों को प्रमाणित करती हैं।

इस कारण आतंकवाद ने पसारे पांव

सवाल यह है कि जिस बिहार में 2013 के पहले आतंकवाद की घटनाएं नहीं देखी-सुनी गई थीं, अचानक आतंकवाद का केंद्र कैसे बन गया? नेपाल व पश्चिम बंगाल सीमावर्ती इलाकों में आतंकी सक्रियता के कई उदाहरण मिले हैं। बिहार के पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, गाेपालगंज, सीवान, पूर्णिया, किशनगंज, आदि कई जिलों में आतंकवाद की जड़ें गहरी बताई जाती रही हैं। आश्‍चर्य नहीं कि आपके पड़ोस का कोई सफेदपोश आतंकी चुपचाप अपना काम कर रहा हो।

बिहार में आतंकवाद के फैलाव के भी अपने कारण हैं। अनौपचारिक बातचीत में पुलिस भी मानती है कि नेपाल की खुली अंतरराष्‍ट्रीय सीमा के कारण यहां रहकर अपराध करना और किसी ‘खतरे’ की स्थिति में नेपाल भाग जाना आसान है। नेपाल के रास्‍ते जाली भारतीय करेंसी लाकर आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देना भी आसान है। इन कारणों से बिहार आतंकियों का पनाहगाह बनता जा रहा है।

ये है आतंकवाद का जाली नोट व आइएसआइ कनेक्‍शन

आतंकवाद का जाली नोट के साथ पाकिस्‍तानी खुफिया संगठन आइएसआइ से भी कनेक्‍शन है। बिहार के सीमावर्ती रक्‍सौल शहर में बीते साल चार जून को जाली नोट और ड्रग्स का तस्कर तथा 50 हजार का इनामी आइएसआइ एजेंट फरमुल्लाह अंसारी गिरफ्तार किया गया था। फरमुल्लाह दो साल पहले से इंटेलिजेंस के राडार पर था। बीते साल ही एक और आइएसआइ एजेंट सोजेबुल शेख को जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया गया।  ऐसे और भी उदाहरण हैं। स्‍पष्‍ट है, बिहार में आतंकियों के साथ आइएसआइ भी सक्रिय है।

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