बिहार में दिव्यांग ने पेंशन से बनवाए शौचालय, दिया स्वछता को बढ़ावा

सीतामढ़ी। दिव्यांग रामआधार कापड़ आंखों से भले ही नहीं देख सकते, लेकिन मन की आंखों ने गंदगी और उससे होने वाली बीमारियों को समझा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान का असर इस कदर पड़ा कि अपने और दो भाइयों के घर में शौचालय बनवाने की ठान ली। फिर क्या था वर्षों से नि:शक्त पेंशन की बचाकर रखी राशि इसमें लगा दी। रकम कम पड़ी तो बकरियां बेच दीं। उनकी पहल का असर इस कदर पड़ा कि उनकी पंचायत खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ)घोषित हो गई। यह मामला है बिहार के सीतामढ़ी जिले के चोरौत प्रखंड का।बिहार में दिव्यांग ने पेंशन से बनवाए शौचालय, दिया स्वछता को बढ़ावा

चोरौत प्रखंड की परिगामा पंचायत के वार्ड चार निवासी 30 वर्षीय रामआधार जन्म से दृष्टिहीन हैं। दो छोटे भाई राजू व छोटन मजदूरी करते हैं। पिता फगुनी कापड़ भी मजदूर हैं। परिवार ऐसा नहीं कि शौचालय का निर्माण करा सके। स्वच्छता और ओडीएफ अभियान से प्रेरित होकर पिछले साल परिवार वालों से शौचालय बनवाने की चर्चा की। इस पर सभी सदस्यों ने पैसे नहीं होने की बात कहकर हाथ खड़े कर दिए।

इस पर उन्होंने पेंशन में बचाकर रखी राशि निकाली और अपने व दो भाइयों के घर में शौचालय बनवाना शुरू कर दिया। रकम कम पडऩे पर चार बकरियों को बेच निर्माण पूरा कराया। टंकी वाला शौचालय बनवाने में उन्होंने लगभग 90 हजार खर्च किए। उन्हेंं इस तरह शौचालय बनवाते देख अन्य लोग भी प्रेरित हुए। फिर तो घर-घर शौचालय बनने लगा। कुछ ही महीने में उनकी पंचायत ओडीएफ घोषित हो गई। इसके बाद कार्यक्रम आयोजित कर बीडीओ व मुखिया ने रामआधार को अंगवस्त्र और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया।

स्वच्छताकर्मी उनका नाम लेकर करते जागरूक

अब वे स्वच्छता अभियान के रोलमॉडल बन गए हैं। स्वच्छताकर्मी  उनका उदाहरण देकर लोगों को शौचालय निर्माण के लिए जागरूक करते हैं। शौचालय निर्माण के लिए गांव से लेकर प्रखंड स्तरीय प्रशासनिक बैठक में उनका नाम लिया जाता है। मुखिया संजय साह कहते हैं कि रामआधार की वजह से लोगों में परिवर्तन आया है। शौचालय निर्माण के लिए लोग आगे आ रहे हैं।

चारौत बीडीओ नीलकमल ने बताया कि रामआधार शौचालय निर्माण के लिए प्रेरणास्रोत हैं। शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि के भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जल्द उन्हें और अन्य लाभार्थियों को भुगतान कर दिया जाएगा। 

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