बड़ी खबर: जल्द बंद हो जाएंगी SBI की ये 6 ब्रांच, इनमें आपका अकाउंट तो नहीं

नई दिल्ली : स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने छह शाखाओं को बंद करने का फैसला किया है. ये सभी शाखाएं देश के बाहर चीन, श्रीलंका, ओमान, सऊदी अरब, फ्रांस और बोस्टन में हैं. इन ब्रांच को 2019 तक बंद कर दिया जाएगा. वित्त मंत्रालय की तरफ से इस बारे में निर्देश जारी कर दिए गए हैं. साथ ही देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने आने वाले तीन सालों में नॉन-कोर बिजनेस को भी समेटने का फैसला किया है. डीएनए की खबर के अनुसार यह निर्णय बैंक ने आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए किया गया है. वित्त मंत्रालय की सहयोगी संस्था डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (DFS) ने सुधार के इस कदम पर तुरंत कार्रवाई के लिए कहा है.

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30 सितंबर तक बंद होंगे ये शाखा

इस संबंध में बैंक के अधिकारियों ने बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया के शीर्ष अधिकारियों से भी मुलाकात की है. प्लान के अनुसार चीन और सऊदी अरब की शाखा 30 सितंबर 2018 तक बंद किया जा सकता है. वहीं ओमान, पेरिस, श्रीलंका और बोस्टन की शाखा को मार्च 2019 तक बंद कर दिया जाएगा. इसके अलावा एसबीआई की 10 अन्य शाखाओं की अभी समीक्षा की जा रही है. बैंक की तरफ से इन पर भी जल्द फैसला लिया जा सकता है.

मार्केट कैपिटलाइजेशन में पिछड़ा एसबीआई

इससे पहले 17 अप्रैल को कोटक महिंद्रा बैंक का मार्केट कैपिटलाइजेशन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से ज्यादा हो गया. बैंकिंग इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया तीसरे पायदान पर फिसला हो. मार्केट वैल्यू के लिहाज से एचडीएफसी के बाद अब दूसरे नंबर पर कोटक महिंद्रा बैंक आ गया है. पिछले दिनों कोटक महिंद्रा बैंक का मार्केट कैपिटलाइजेशन 2.23 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. वहीं, एसबीआई का मार्केट कैप 2.22 लाख करोड़ रुपये रहा. एचडीएफसी 5.03 लाख करोड़ रुपये की मार्केट वैल्यू के साथ बैंकिंग सेक्टर का बादशाह बना हुआ है.

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देश का सबसे अमीर बैंक HDFC

प्राइवेट सेक्टर का बैंक एचडीएफसी बैंक देश का सबसे अमीर बैंक है. बैंक की मार्केट कैप करीब 5.04 लाख करोड़ रुपये है. टॉप 10 में सिर्फ 3 पब्लिक सेक्टर के बैंक हैं. वहीं, हाल ही में लिस्ट हुए आरबीएल बैंक ने भी टॉप 10 में जगह बनाई है.

क्या थी पिछड़ने की वजह

बैंकिंग एक्सपर्ट विवेक मित्तल के मुताबिक, सरकारी बैंक बैड लोन और कॉर्पोरेट सेक्टर में बढ़ते डिफॉल्ट्स की समस्या से जूझ रहे हैं. वे बड़े लोन देने से हिचकने लगे हैं और उनका फोकस रीटेल बिजनेस पर बढ़ा है. हालांकि, रिटेल बिजनेस में प्राइवेट सेक्टर के बैंक कई वर्षों से आगे हैं.

 
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