#बड़ी खबर: जल्द ही नियमों के दायरे में आएंगे कॉलिंग सुविधा देने वाले एप

कॉल की सुविधा देने वाले व्हाट्सएप, गूगल डुओ और स्काइप जैसी कंपनियों के एप जल्द ही दूरसंचार नियमों के दायरे में आ सकते हैं। दूरसंचार नियामक ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने विशेषज्ञों, दूरसंचार कंपनियों और विभिन्न हिस्सेदारों को ओवर द टॉप (ओटीटी) कंपनियों को नियमों को दायरे में लाने के लिए परामर्श पत्र जारी कर दिया है। सभी से 10 दिसंबर तक सुझाव मांगे गए हैं। ट्राई परामर्श प्रकिया पूरी करने के बाद जनवरी, 2019 में सिफारिशों को लागू कर सकता है।#बड़ी खबर: जल्द ही नियमों के दायरे में आएंगे कॉलिंग सुविधा देने वाले एप

ट्राई ने मांगीं कई जानकारियां
ट्राई ने विशेषज्ञों, दूरसंचार कंपनियों और विभिन्न हिस्सेदारों को परामर्श पत्र जारी करते हुए ओटीटी कंपनियों के लिए लाइसेंस नियमों की व्यवस्था लागू करने की जरूरतों और इनके बीच इंटर ऑपरेटिबिलिटी के बारे में भी जानकारी मांगी है। साथ ही पूछा है कि क्या ओटीटी कंपनियों में पुलिस और एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाएं शुरू की जानी चाहिए? क्या दूरसंचार कंपनियों और ओटीटी कंपनियों द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं में कोई समानता है? 

तय हो सकता है शुल्क

दरअसल, नए नियमों के आने के बाद दूरसंचार कंपनियों की सेवाओं की तर्ज पर ओटीटी कंपनियों को भी विभिन्न स्तरों पर नियमन करना होगा। ऐसे में वे अपनी सेवाओं के लिए शुल्क तय कर सकती हैं, जो फिलहाल निशुल्क हैं। ट्राई ने इससे पहले 2015 में इस मुद्दे पर एक परामर्श पत्र जारी किया था, लेकिन बाद में सिफारिशों को लागू नहीं किया गया था।

दूरसंचार कंपनियों को नुकसान
दूरसंचार कंपनियों की शिकायत है कि ओटीटी कंपनियों के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि इन कंपनियों के एप से देश-विदेश में होने वाली कॉल की तादाद लगातार बढ़ रही है। इसलिए दूरसंचार कंपनियों ने ट्राई से इन कंपनियों की जिम्मेदारी तय करने की मांग की थी। ऐसा करना दूरसंचार कंपनियों को नुकसान से बचाने और उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी है। 

ओटीटी कंपनियों की परिभाषा नहीं

ट्राई के मुताबिक, ओटीटी कंपनियां रियल टाइम पर संदेश, कॉल और वीडियो कॉल मुहैया कराती हैं। इसके बावजूद उनकी कोई परिभाषा नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूरोपीय यूनियन ने इन कंपनियों की एक परिभाषा तय की है, जिसे कुछ देशों ने अपनाया है। 

ट्राई का यह भी मानना है कि ओटीटी कंपनियां सेवा प्रदाता और उपभोक्ता मोबाइल ऑपरेटरों द्वारा नेटवर्क गुणवत्ता बेहतर करने पर किए गए भारी निवेश का भी लाभ उठाती हैं। हकीकत में दूरसंचार कंपनियों के ढांचे पर ही वे टिकी हुई हैं। 

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