आजाद हिंद की 75वीं वर्षगांठ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले पर फहराया तिरंगा

नई दिल्ली। नेशनल पुलिस मेमोरियल, चाणक्यपुरी का उद्घाटन करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी लाल किले पहुंच चुके हैं। उन्होंने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहरा दिया है। लाल किले में आज (रविवार को) आजाद हिंद फौज (सरकार) की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।

इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी ने एक ऐसे भारत का वादा किया था जिसमें सब बराबर हों और सबकों बराबरी का मौका मिले। उन्होंने ऐसे खुशहाल देश की कल्पना की थी जो अपनी परंपराओं और हर क्षेत्र में विकाश की वजह से जाना जाए। उन्होंने बांटो और शासन करो की नीति को जड़ से उखाड़ने का वादा किया था। बावजूद इतने वर्षों बाद भी उनके ये सपने अधूरे हैं। हमने लाखों लोगों के बलिदान के बाद स्वराज हासिल किया है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा अब ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस स्वराज को सुराज के साथ कायम रखें। पीएम ने कहा पिछले चाल साल में सरकार ने सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई अहम निर्णय लिए हैं। सुरक्षा में बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस सरकार में बड़े और कठिन फैसले लेने का साहस है और ये जारी रहेगा। हमारी सरकार ने सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक और नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने जैसे कड़े फैसले लिए हैं।

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किला में इससे संबंधित शिलापट लगाएंगे। इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक समारोह में केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भतीजे चंद्र कुमार बोस, आइएनए (इंडियन नेशनल आर्मी) के वयोवृद्ध ब्रिगेडियर लल्ती राम आदि शामिल हैं।

11 देशों की सरकारों ने दी थी मान्यता
21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में प्रातीय आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी। उस समय 11 देशों की सरकारों ने आजाद हिंद सरकार को मान्यता दी थी। उस सरकार ने कई देशों में अपने दूतावास भी खोले थे। इसके अलावा आजाद हिंद फौज ने बर्मा की सीमा पर अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ी थी। केंद्र की भाजपा सरकार नेताजी द्वारा स्थापित आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगाठ मना रही है। इसी उपलक्ष्य में लाल किले में रविवार को होने वाले कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हो रहे हैं।

चार संग्रहालयों का हो रहा निर्माण
लाल किला में अंग्रेजों के समय बनाई गई बी-एक से लेकर चार तक में चार संग्रहालय तैयार किए जा रहे हैं। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय इन्हें संग्रहालय के हब के तौर पर विकसित करा रहा है। चार नए संग्रहालयों में से पहले संग्रहालय में मूल अभिलेखीय सामग्री और 1857 क्राति से संबंधित प्रतिकृतियां होंगी। इसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ भारतीय विद्रोह को दर्शाती हुई लगभग एक शताब्दी पुरानी 70 असली पेंटिंग्स रखी जाएंगी।

सुभाष चंद्र बोस से जुड़ा है संग्रहालय 
एएसआइ के मुताबिक दूसरा संग्रहालय सुभाष चंद्र बोस और भारतीय सेना से जुड़ा है। इसमें खासकर सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़े विभिन्न दस्तावेजों को रखा जा रहा है। जबकि, तीसरा संग्रहालय जालियावाला बाग में हुए नरसंहार और द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भागीदारी पर अभिलेखीय सामग्री को प्रदर्शित करेगा।

पूरी नहीं हुई तैयारी 
चौथे संग्रहालय में भारतीय युद्ध स्मारक संग्रहालय और पुरातत्व संग्रहालय की कलाकृतियों को रखा जाएगा। रविवार को प्रधानमंत्री द्वारा इन संग्रहालयों का उद्घाटन भी किया जाना था लेकिन, सूत्रों का कहना है कि तैयारी पूरी नहीं होने के चलते इसे फिलहाल टाल दिया गया है।

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