वीडियो: अटल बिहारी वाजपेयी का ये गीत सुनकर, आपकी आँखों में आ जाएगे आंसू
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) जितना एक राजनेता के रूप में सराहे गए हैं उतना ही कवि के रूप में भी. यूं तो उनकी कई कविताएं बेहद लोकप्रिय हैं पर एक कविता ऐसी है जो दिल को छूती है. ये कविता है ‘गीत नहीं गाता हूं…’. इस कविता पढ़ने से ज्यादा आनंद है इसे सुनने में. और अगर इसे खुद वाजपेयी पढ़ें तो कहने ही क्या.
हम एक ऐसा ही वीडियो खोज लाए हैं, जिसमें वाजपेयी अपनी कविता सुना रहे हैं. पहले पढ़िए कैसी है ये कविता-
गीत नहीं गाता हूँ
बेनकाब चेहरे हैं,
दाग बड़े गहरे है,
टूटता तिलस्म , आज सच से भय खाता हूं.
गीत नहीं गाता हूं.
लगी कुछ ऐसी नज़र,
बिखरा शीशे सा शहर,
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं.
गीत नहीं गाता हूं.
जब पूरी दुनिया थी भारत के खिलाफ, तब वाजपेयी जी ने किया ये कमाल
पीठ में छुरी सा चांद,
राहु गया रेख फांद,
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूं.
गीत नहीं गाता हूं.
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