अश्विन ने उठाई आवाज़ तो इन धुरंदरों ने भी दिया साथ, क्या बदलेगा भारतीय क्रिकेट?

नई दिल्ली। इंग्लैंड में ड्यूक गेंद से खेलकर पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-4 से बुरी तरह हारने वाली भारतीय टीम का अचानक उससे प्रेम बढ़ना समझ से परे है। 1993 से भारतीय सरजमीं पर एसजी गेंद से खेलने और ज्यादातर मैच जीतने वाली टीम इंडिया अचानक से अपने ही देश में बनने वाली इस गेंद के खिलाफ खड़ी हो गई है। उसे ड्यूक गेंद एसजी से ज्यादा बेहतर लगने लगी है। पहले स्पिनर रविचंद्रन अश्विन तो उसके बाद कप्तान विराट कोहली और तेज गेंदबाज उमेश यादव ने एसजी गेंद की क्वालिटी पर सवाल उठाए हैं।

हालांकि अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि 2017-18 रणजी सत्र में भारत के शीर्ष 30 गेंदबाजों ने 23.45 के औसत से विकेट लिए। इन्होंने रणजी सत्र में 58 बार पांच विकेट लिए। खास बात यह है कि जहां इस गेंद से ऑफ स्पिनर जलज सक्सेना ने सात मैचों में 44 विकेट हासिल किए तो रजनीश गुरबानी और अशोक डिंडा जैसे मध्यम गति के तेज गेंदबाजों ने क्रमश: 39 और 35 विकेट लिए।

वहीं अगर ड्यूक गेंद की बात करें तो 2018 में इंग्लैंड के काउंटी सत्र में उसके शीर्ष 30 गेंदबाजों ने 23.69 के औसत से विकेट लिए। उनके शीर्ष 30 गेंदबाजों ने भी काउंटी सत्र में 52 बार पारी में पांच विकेट लिए। वहां टी बेली और मोर्नी मोर्केल जैसे तेज गेंदबाजों का बोलबाला रहा। वहीं ऑस्ट्रेलिया की घरेलू शेफील्ड शील्ड सीरीज की बात करें तो 2018 सत्र में कूकाबुरा गेंद से उनके शीर्ष 30 गेंदबाजों ने 27.50 के औसत से विकेट लिए। उनके शीर्ष 30 गेंदबाज सिर्फ 25 बार ही एक पारी में पांच विकेट हासिल कर सके। ऐसे में देखें तो सबसे अच्छा औसत एसजी गेंद का है।

एसजी से भारत का प्रदर्शन शानदार 

विराट कोहली ने 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर महेंद्र सिंह धौनी के कप्तानी छोड़ने के बाद टेस्ट में टीम इंडिया की कमान संभाली। उसके बाद से भारत ने एसजी गेंद से 23 टेस्ट खेले हैं जिसमें उसे 17 जीत और सिर्फ एक हार मिली है। पांच टेस्ट ड्रॉ रहे हैं। इसमें से 21 मैच में विराट ने कप्तानी की जिसमें भारत 15 जीता। विराट अगर धौनी (27) के बाद भारत के लिए सबसे ज्यादा टेस्ट जीतने वाले कप्तान हैं तो उसमें एसजी गेंद का बड़ा हाथ है। विराट की कप्तानी में भारत अब तक 24 टेस्ट जीत चुका है जिसमें 15 जीत एसजी से खेलते हुए मिली हैं। विराट ने अब तक कुल 42 टेस्ट मैचों में कप्तानी की है जिसमें 21 में टीम ने कूकाबुरा और ड्यूक गेंद से मैच खेले हैं। इस 21 में सिर्फ नौ में जीत मिली हैं। उसमें भी दो वेस्टइंडीज और पांच श्रीलंका के खिलाफ हैं। भारत इस दौरान ऑस्ट्रेलिया में कूकाबुरा से एक भी टेस्ट नहीं जीत सका है जबकि दक्षिण अफ्रीका में बमुश्किल उसे एक जीत मिली। यही हाल इंग्लैंड में ड्यक गेंद से रहा जहां टीम इंडिया पांच में से सिर्फ एक टेस्ट जीत सकी। भारत इस दौरान नौ टेस्ट हारा है जिसमें आठ विराट की कप्तानी में खेले गए। धौनी के कप्तानी छोड़ने के बाद विराट ने घर पर वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, इंग्लैंड, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट सीरीज में मात इसी एसजी गेंद से दी। ऐसे में टीम इंडिया की एसजी गेंद की खिलाफत करना समझ से परे है।

वेस्टइंडीज सीरीज में खराब रही क्वालिटी

वेस्टइंडीज के साथ खत्म हुई दो टेस्ट मैचों की सीरीज के दौरान एसजी गेंद की क्वालिटी वाकई में खराब थी जिसको लेकर उसकी निर्माता कंपनी जरूरी बदलाव को भी तैयार है। विराट ने कहा था कि एसजी गेंद जल्दी घिस जाती है जिससे खिलाड़ी के प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ता है। पहले गेंद की जो क्वालिटी थी वह काफी अच्छी थी। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इसमें गिरावट कैसे आई। ड्यूक गेंद की क्वालिटी अभी भी अच्छी है। लगता है कि ड्यूक टेस्ट मैचों के लिए सबसे सही गेंद है। अगर यह स्थिति रही तो मैं सभी जगह टेस्ट क्रिकेट में ड्यूक गेंद के इस्तेमाल का समर्थन करूंगा।

इससे पहले बीसीसीआइ की तकनीकी समिति के मुखिया और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने हाल टेस्ट ही नहीं, बल्कि वनडे में भी एसजी गेंद के इस्तेमाल की वकालत की थी। अभी भारत में सीमित ओवरों का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सफेद कूकाबुरा गेंद से होता है। गांगुली ने कहा था कि हम भारत में सीमित ओवरों की क्रिकेट में सफेद एसजी गेंद के इस्तेमाल पर विचार कर रहे हैं। विराट जिस ड्यूक गेंद की बात कर रहे हैं वह भारतीय परिस्थितियों पर कितना फिट बैठेगी यह देखने वाली बात होगी। ड्यूक गेंद का घरेलू क्रिकेट में उपयोग महंगा भी पड़ेगा क्योंकि वह एसजी के मुकाबले चार गुना महंगी पड़ेगी।

दूसरे टेस्ट के पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद तेज गेंदबाज उमेश यादव ने कहा था कि एसजी गेंद के पुराने होने पर निचले क्रम को रोकना मुश्किल हुआ। इस तरह की सपाट पिचों पर एसजी टेस्ट गेंदों से खेलना मुश्किल है। इससे रफ्तार या उछाल नहीं मिलती। आप एसजी गेंद से एक ही जगह पर गेंद डाल सकते हैं लेकिन पिच से मदद नहीं मिलने पर कुछ नहीं हो सकता। हालांकि भारत के सबसे अच्छे गेंदबाजी लाइनअप को इंग्लैंड में अपने मुफीद कंडीशन में भी मेजबान टीम के निचले क्रम से परेशान होना पड़ा था। स्पिनर अश्विन ने भी गेंद की बुराई की और कूकाबुरा को बेहतर बताया, लेकिन तथ्य यह है कि उन्होंने 64 मैचों में जो 336 विकेट लिए हैं उसमें 260 से ज्यादा विकेट एसजी गेंद से भारतीय सरजमीं पर ही मिले हैं।

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