उत्तराखण्ड में थराली विधानसभा उपचुनाव के बाद जिला पंचायतों में भी कांग्रेस को बड़ा झटका

देहरादून: विधानसभा चुनाव में करारी हार के बावजूद प्रदेश में कांग्रेस के लिए हालात सामान्य होते नजर नहीं आ रहे हैं। थराली विधानसभा उपचुनाव के बाद विभिन्न जिलों में हुए जिला पंचायत उपचुनाव में भी कांग्रेस को मायूसी हाथ लगी है। उत्तराखण्ड में थराली विधानसभा उपचुनाव के बाद जिला पंचायतों में भी कांग्रेस को बड़ा झटका

पौड़ी, पिथौरागढ़ व हरिद्वार जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों के उपचुनाव में भाजपा ने अपनी स्थिति में सुधार करते हुए कई स्थानों पर कांग्रेस को पीछे धकेल दिया। कांग्रेस पर उत्तराखंड में अपनी खोई सियासी जमीन वापस पाने का दबाव है। इसके लिए पार्टी जोर-शोर से हाथ-पांव मार रही है, लेकिन फिलहाल कामयाबी उससे दूरी बनाए हुए है। 

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड के प्रति प्रेम और केदारनाथ में पुनर्निर्माण और ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट पर दिए जा रहे विशेष जोर को देखते हुए प्रमुख विपक्षी दल ने अपनी सियासी पैठ दोबारा मजबूत करने के लिए हाथ-पांव मारने शुरू कर दिए हैं। 

केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के नजदीकी विधानसभा क्षेत्र थराली में हुए उपचुनाव में जीत के जरिये देशभर में सियासी संदेश देने के कांग्रेस मंसूबे पूरे नहीं हो पाए हैं। हालांकि, कुछ राहत की बात ये है कि पार्टी ने उक्त उपचुनाव में अपनी दमदार मौजूदगी का अहसास सरकार और सत्तारूढ़ दल को जरूर कराया। अब थराली के बाद जिला पंचायतों के उपचुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए उत्साहव‌र्द्धक नहीं रहे हैं। रिक्त सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस अथवा कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों को हराने में भाजपा या उससे समर्थित प्रत्याशियों को सफलता मिली है। 

हरिद्वार जिले में कांग्रेस के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राजेंद्र चौधरी के परिवार की सदस्य और कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को मानकपुर-आदमपुर जिला पंचायत सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा है। इसीतरह जमालपुर कला सीट पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी विजयी रहीं। पर्वतीय क्षेत्रों पौड़ी और पिथौरागढ़ में भी भाजपा ने बढ़त लेकर कांग्रेस को झटका दिया है। इससे कांग्रेस की मुश्किलों में इजाफा होना तय है। खासतौर पर कांग्रेस के भीतर जिसतरह गुटीय खींचतान बढ़ रही है, उसका असर आने वाले निकाय चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर भी दिखाई पड़ सकता है। 

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