अकाली दल के विरोध के बाद पंजाब सरकार ने वापस ली इतिहास की किताबें

पंजाब सरकार ने 12वीं कक्षा की इतिहास की नई किताबों को वापस लेने का फैसला किया है. सरकार ने इन किताबों को तब तक वापल ले लिया है, जब तक कि एक विशेषज्ञों का ग्रुप इसकी समीक्षा ना कर ले. बता दें कि इन किताबों में सिख गुरूओं के प्रति कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की गई है.

राज्य सरकार ने सोमवार को यह फैसला शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की उस मांग पर लिया है, जिसके तहत विपक्षी पार्टी ने पुस्तक में ‘सिखों’ की धार्मिक भावनाओं को ‘आहत’ करने के लिए माफी मांगने को कहा था. एक आधिकारिक प्रवक्ता ने पुरानी किताबों का इस्तेमाल करने के निर्देश के बारे में बताया है.

उन्होंने बताया कि इन किताबों की एक विशेषज्ञ समूह की ओर से जांच लंबित रहने तक मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड को अकादमिक साल 2017-18 के लिए 11वीं और 12वीं कक्षा की इतिहास की पुरानी पाठ्यपुस्तकों का उपयोग करने का निर्देश दिया है.

क्या है मामला?

अकाली दल का आरोप है कि इन किताबों में सिख गुरुओं को लेकर आपत्तिजनक शब्दावली का इस्तेमाल किया गया है और कई तथ्यों को या तो जान-बूझकर हटा दिया गया है या फिर तोड़-मरोड़ कर अधूरी जानकारी के साथ किताबों में लिखा गया है.

अकाली दल ने जल्द ही इन नई अपलोड की गई किताबों और उनके चैप्टरों को हटाने की मांग की थी. उनका आरोप है कि सिख धर्मगुरुओं को लेकर इन किताबों में कुछ ऐसी गलतियां की गई है.

– गुरु अर्जुन देव जी की शहादत नहीं हुई थी बल्कि उनको मुगल शासकों ने जुर्माना भरवा कर छोड़ दिया था.

– गुरु हरगोविंद सिंह जी शिकार खेलने के शौकीन थे और श्रद्धालुओं की जगह दुष्टों को तरजीह दिया करते थे.

– गुरु गोविंद सिंह जी चमकौर साहिब की लड़ाई को बीच में छोड़कर चुपचाप चले गए थे.

– गुरु तेग बहादुर साहिब को लेकर भी पाठ्यक्रम में तथ्यों से छेड़छाड़ और कई जरूरी तथ्य हटाने के आरोप हैं.

– गुरु गोविंद सिंह जी ने एक गांव को लूटा था.

इन जैसे कई और तथ्य है जोकि इतिहास के चैप्टरों में लिखे गए हैं और इन्हीं बातों को लेकर अकाली दल को कड़ा ऐतराज है.

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