धोनी के संन्यास के बाद खराब रहा भारत टेस्ट क्रिकेट में ये रिकॉर्ड्

टीम इंडिया और इंग्लैंड के बीच 5 टेस्ट मैचों की सीरीज खेली जायेगी. सीरीज का पहला मुकाबला 1 अगस्त से बर्मिंघम में खेला जायेगा. इस सीरीज के लिए टीम इंडिया में दो विकेटकीपर बल्लेबाजों को शामिल किया गया है. टीम में अनुभवी खिलाड़ी दिनेश कार्तिक के साथ युवा खिलाड़ी ऋषभ पंत भी शामिल हैं. पंत ने आईपीएल के दौरान महेन्द्र सिंह धोनी से विकेटकीपिंग के लिए टिप्स भी लिए थे. धोनी के संन्यास लेने के बाद अभी तक कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं आया है जो बतौर विकेटकीपर टेस्ट मैचों में भारतीय टीम के स्थायी रूप से खेले. इस फेहरिस्त में ऋद्धिमान साहा, चेतेश्वर पुजारा, दिनेश कार्तिक और अब ऋषभ पंत की आजमाइश होगी.

इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की अग्नि परीक्षा होने वाली है. विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम को बड़ी चुनौती से गुजरना होगा. टीम के विकेटकीपिंग रिकॉर्ड को देखें तो धोनी के पहले और धोनी के बाद की स्थिति काफी खराब रही है. साल 1992 से 2006 तक भारतीय टीम ने इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के खिलाफ कुल 32 टेस्ट मैच खेले. इस दौरान विकेटकीपर बल्लेबाजों का 18.58 का औसत रहा.

अगर धोनी की बात करें तो उन्होंने 2006 से 2014 के बीच 32 टेस्ट मैच खेले. इस दौरान उन्होंने 31.30 के औसत को बरकरार रखा. जब कि धोनी के बाद यह काफी खराब हो गया. साल 2015 से 2018 तक 4 टेस्ट मैचों में महज 12.37 का औसत ही रह पाया. इसलिए अब इस सीरीज में दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत के सामने कड़ी चुनौती होगी. हालांकि संभव है कि कार्तिक को बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज प्लेइंग इलेवन में प्राथमिकता दी जाए.

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टीम इंडिया के घरेलू टेस्ट मैचों में ऋद्धिमान साहा अच्छा विकल्प हैं. उन्होंने घरेलू मैचों में शानदार प्रदर्शन किया है. लेकिन दक्षिण अफ्रीका या इंग्लैंड की स्थिति में स्थिति में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा है. यही बात पार्थिव पटेल के साथ भी है. उन्होंने घरेलू मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया. लेकिन बाहरी मैदानों पर प्रदर्शन में बड़ अंतर दिखता है. भारत की टेस्ट टीम अब ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक से ही उम्मीद की जा सकती है.

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