लखनऊ समेत यूपी में दिखा अद्भुत नजारा, जानें इसके पीछे का माजरा

आसमान में चमकते तारे जैसी समूह की घूमती हुई आकृति सोमवार की शाम राजधानी में कौतूहल का विषय बनी रही। हर ओर एलियंस और अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग आब्जेक्ट (यूएफओ) को लेकर चर्चाएं होती रही। इस मौके पर कई लोगों ने वीडियो भी बनाया और आकृति को कैमरे में कैद किया। देखते ही देखते शहर भर में वीडियो और फोटो वायरल होने लगी। हालांकि, इसकी पुष्टि एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स द्वारा लांच किए गए स्टारलिंक सेटेलाइट के रूप में हुई

स्टारलिंक विश्व का सबसे पहला और बड़ा सेटेलाइट सेटअप है जो लो अर्थ आर्बिट में अर्थात पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा में घूमते हुए हाई स्पीड और लो लेटेंसी इंटरनेट सुविधाएं प्रदान करने में महारत रखता है। सोमवार की शाम राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में इसे देखकर लोगों के बीच कौतूहल उत्पन्न हो गया। इस बारे में इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला के वैज्ञानिक अधिकारी सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में अधिकतर जगहों पर इंटरनेट आप्टिकल फाइबर के जरिए पहुंचाया जाता है।

इस तकनीक में प्रकाश के माध्यम से डेटा एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है। इसके विपरीत स्टारलिंक उपग्रहों का एक समूह है जो धरती की सतह से लगभग 550 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाकर इंटरनेट की सेवा उपलब्ध कराते हैं। लोगों के बीच कौतूहल का विषय यह इसलिए बन सकते हैं क्योंकि अन्य सैटेलाइट के मुकाबले यहां पृथ्वी से 60 गुणा अधिक नजदीक होते हैं। रात के समय यह चमकीले तारे की तरह दिखते हैं और एक साथ होने के कारण यूएफओ जैसे प्रतीत होते हैं।

सुमित बताते हैं कि स्पेसएक्स द्वारा संचालित स्टारलिंक एक सेटेलाइट इंटर कांस्टेलेशन यानी उपग्रहों का समूह है। इसमें सभी सैटेलाइट पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं और पूरी पृथ्वी पर सीधे इंटरनेट सेवा उपलब्ध करवाते हैं। 2018 में इसे शुरू किया गया था। अब तक लगभग दो हजार उपग्रह लो अर्थ आर्बिट में स्थापित किए जा चुके हैं। इनकी खासियत यह है कि धरती के नजदीक होने के कारण कम समय में अधिक तेजी से इंटरनेट कनेक्टिविटी दे सकते हैं। स्टारलिंक की सेवा फाइबर आप्टिक्स के प्रकाश से 40 प्रतिशत अधिक तेज मानी जाती है।

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