82 साल के इतिहास में पहली बार गुजरात बना रणजी चैम्पियन

कप्तान पार्थिव पटेल के विषम परिस्थितियों में बनाए गए लाजवाब शतक से गुजरात ने आज यहां 41 बार के चैंपियन मुंबई को 5 विकेट से हराकर पहली बार रणजी ट्राफी खिताब जीता। गुजरात के सामने 312 रन का लक्ष्य था और उसने पार्थिव की 143 रन की बेजोड़ पारी के दम पर मैच के 5वें और अंतिम दिन 5 विकेट पर 313 रन बनाकर राष्ट्रीय चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। 66 साल पहले फाइनल में पहुंचा था गुजरात

गुजरात ने रणजी फाइनल में सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल करने का भी रिकार्ड बनाया। इससे पहले का रिकार्ड हैदराबाद के नाम पर था जिसने 1938 में नवानगर के खिलाफ 9 विकेट पर 310 रन बनाए थे।  गुजरात 66 साल पहले 1950 – 51 में फाइनल में पहुंचा था लेकिन तब उसे होलकर (अब मध्यप्रदेश) ने इंदौर में ही खेले गये फाइनल में 189 रन से हरा दिया था। गुजरात रणजी चैंपियन बनने वाली 16वीं टीम है। गुजरात ने 2014-15 में सैयद मुश्ताक अली टी20 ट्राफी और 2015-16 में विजय हजारे एकदिवसीय ट्राफी जीती थी और इस तरह से तीनों राष्ट्रीय खिताब जीतने वाली वह चौथी टीम बन गयी है। गुजरात से पहले तमिलनाडु, बंगाल और उत्तर प्रदेश यह कारनामा कर चुके हैं।

मुंबई की यह रणजी फाइनल में केवल 5वी हार

पार्थिव तीनों खिताब जीतने वाले पहले कप्तान भी बन गए हैं।  मुंबई की यह रणजी फाइनल में केवल 5वी हार है। इससे पहले आखिरी बार उसे 1990-91 में हरियाणा ने दो रन से हराया था। इसके बाद मुंबई 11 बार फाइनल में पहुंचा जिनमें से पिछले दस में उसने जीत दर्ज की थी। गुजरात आज उसके विजय अभियान पर विराम लगाने में सफल रहा।  गुजरात ने सुबह बिना किसी नुकसान के 47 रन से आगे खेलना शुरू किया लेकिन उसने इसी स्कोर पर इस सत्र में सर्वाधिक 1310 रन बनाने वाले सलामी बल्लेबाज प्रियांक पांचाल (34) का विकेट गंवा दिया। पांचाल ने बलविंदर संधू (101 रन देकर दो विकेट) की आफ स्टंप से बाहर जाती गेंद पर दूसरी स्लिप में खड़े सूर्यकुमार यादव को कैच दिया।  

82 साल के इतिहास में पहली बार रणजी चैम्पियन बना गुजरात

गुजरात ने इससे पहले सबसे ज्यादा रन चेस करने का रिकॉर्ड 1937-38 में हैदराबाद और नवानगर की टीमों के बीच हुए मैच में बना था। उस मैच में हैदराबाद की टीम ने 310 रन बनाते हुए खिताब जीता था। गुजरात की टीम 66 साल बाद रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची थी। इससे पहले जब टीम फाइनल में पहुंची थी उस वक्त टीम के कप्तान पॉली उमरीगर थे। तब भी फाइनल मैच इंदौर में हुआ था। इस बार टीम ने पार्थिव पटेल की कप्तानी में इतिहास रच दिया।

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