राजस्थान में जीका वायरस के 72 मामले आए सामने, केंद्र सरकार ने ठोस कदम उठाने के दिए निर्देश

राजस्थान में जीका वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 72 हो गई है. इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को राज्यों से इस बीमारी के फैलने पर अंकुश पाने के लिए मच्छरों के पनपने के कारणों पर रोक लगाने को कहा है.  

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (स्वास्थ्य) संजीव कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में जीका वारयस पर नियंत्रण पाने के लिए राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत दिशानिर्देशों को लागू करने को कहा है.  

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्यों से जीका पर रोक लगाने के लिए वेक्टर (रोगाणुवाहक) नियंत्रण रणनीतियों में तेजी लाने को कहा गया है जिनमें लार्वा को खत्म करना, दवा के धुएं का झिड़काव तथा राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत दिशानिर्देशों का पालन करना शामिल है.  

राजस्थान में और बढ़ा आंकड़ा

सोमवार को राजधानी जयपुर में जीका वायरस के 12 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमित व्यक्तियों की संख्या बढ़कर 72 हो गई. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को इस मुद्दे पर हुई समीक्षा बैठक के बाद यह जानकारी दी.

विभागीय अधिकारियों का दावा है कि कुल 72 में से 60 मरीज उपाचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं. बता दें कि जयपुर में जीका वायरस संक्रमण के अधिकतर मामले शास्त्रीनगर इलाके के हैं. इलाके में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये फॉगिंग के अलावा मच्छरों के लार्वा को खत्म करने के उपाय किए जा रहे हैं.

गुप्ता ने बताया कि अभी तक शास्त्रीनगर के 96,000 आवासीय मकानों में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया जा चुका है. शास्त्रीनगर और आसपास के इलाकों में मच्छरों का लार्वा पाए जाने पर उसे नष्ट किया गया.

विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आवासों में लार्वा पाए जाने पर 44 हजार रुपये जुर्माने के 68 चालान काटे गए है. विभाग ने एक परामर्श भी जारी किया जिसमें प्रभावित क्षेत्र से बाहर रहने वाली गर्भवती महिलाओं से शास्त्री नगर इलाके में नहीं जाने को कहा गया है.

जीका वायरस को लेकर जरूरी जानकारी:

-जीका मच्छर के काटने से फैलता है और व्यस्कों में लकवा या अन्य अक्षमताएं पैदा कर सकता है, यह गर्भ में पल रहे शिशु के दिमागी विकास में भी बाधक बन सकता है.

-जीका वायरस वाला मच्छर सुबह और शाम को ज्यादा सक्रिय होता है यह मच्छर रुके हुए पानी में ही पनपता है. जीका, मच्छर से इंसान में और मां से गर्भस्थ शिशु में फैल सकता है.

-जीका रोग के लक्षण मच्छर के काटने से 2 से 7 दिन के पश्चात या जीका प्रभावित व्यक्ति से असुरक्षित यौन संबंध के बाद प्रकट हो सकते हैं.

-आंखें आना, शरीर पर दाने होना, बुखार होना, बदन दर्द होना और जोड़ों में दर्द होना इसके सामान्य लक्षण हैं.

-यह बीमारी जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से होती है. इस बीमारी में सबसे बड़ा खतरा गर्भवती महिलाओं को होता है, गर्भ ठहरने के दो-तीन माह के भीतर अगर महिला जीका की चपेट में आ जाए तो शिशु के सिर का अपूर्ण विकास होता है.

-इस बीमारी पर यदि समय रहते अंकुश नहीं पाया गया तो यह हमारी पीढियों को बिगाडने वाली साबित हो सकती है. पीडित को न्यूरोलॉजिकल और आर्गन फेलियर तक की नौबत आ सकती है.  

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