7 साल पहले करंट से खोया दायां हाथ, अब बाएं हाथ से स्कॉटलैंड को दी शिकस्त

पठानकोट.कभी दाएं हाथ से बेडमिंटन में विरोधियों के पसीने छुड़ाने वाले शटलर का 7 साल पहले करंट से हाथ नकारा हो गया था। 3 साल की लंबी रेस्ट में पिता की मोटिवेशन और चंडीगढ़ के हैंडिकैप्ड बैडमिंटन प्लेयर संजीव कुमार से मिली प्रेरणा के बाद बाएं हाथ से प्रैक्टिस शुरू की और 4 साल की टफ ट्रेनिंग के बाद कई ईवेंट्स में नॉर्मल प्लेयर्स को भी धूल चटा दी। यह जिद की कहानी है पठानकोट के 19 साल के पुनीत की। हाल ही में स्पेन पैरा ओपन बेडमिंटन ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में स्कॉटलैंड और नीदरलैंड के प्लेयर्स को भी मात दी।

हालांकि सेमिफाइनल में निराशा मिली पर अब पुनीत का टार्गेट जापान 2020 पैरा-ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करना है, जिसके लिए पुनीत रोज 5 घंटे कोर्ट में पसीना बहा रहे हैं। बता दें, पुनीत जब 12 साल का था तो जम्मू के इंडस्ट्रियल एरिया में रिश्तेदार के घर की छत पर हाइटेंशन तारों से करंट लगने से एक बाजू बेकार हो गई। सिर और शरीर के अन्य हिस्सों पर उस घटना के निशान अभी भी हैं।

पंजाब की ओर से चेन्नई, बेंगलुरू, केरल ओपन चैंपियनशिप में खेले

पुनीत के पिता रविंद्र कुमार और बहन सिमरन बैडमिंटन प्लेयर हैं। पिता रविंद्र सरकारी स्कूल में पीटी टीचर हैं, जबकि बहन सिमरन स्टेट चैंपियन रह चुकी हैं। पुनीत अपने परिवार के साथ अबरोल नगर ग्रीन फील्ड लेन-2 में रहते हैं। पुनीत ने इस मुकाम पर पहुंचने के लिए लगातार प्रैक्टिस कर पहले पंजाब में जगह बनाई और पंजाब की ओर से चेन्नई में ओपन नेशनल पैरा चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। इसके बाद उसने बेंगलुरू में 15वीं नेशनल पैरा चैंपियनिशप में भाग लिया और सिंगल्स के क्वार्टर फाइनल राउंड में उसे हार का सामना करना पड़ा। लेकिन, डबल्स में अपने जोड़ीदार राजस्थान के राकेश के साथ मिलकर दूसरा स्थान हासिल किया। वहीं नॉर्मल प्लेयर्स के खिलाफ हाल ही में केरल में हुई ओपन चैंपियनशिप में फाइनलिस्ट रहा। टर्की इंटरनेशनल ओपन पैरा चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला था पर वहां पर हुए आतंकी हमलों के बाद ईवेंट स्किप करना पड़ा।

स्पेन का किराया कम पड़ा तो पुनीत के पिता को बेचनी पड़ी अपनी कार

पुनीत के पिता डीपीआई रविन्द्र बताते हैं, नेशनल व इंटरनेश्नल ईवेंट्स में जाने के लिए सरकार केवल नॉर्मल प्लेयर्स को ही फंडिंग करती है। पैरा प्लेयर्स को आर्थिक मदद नहीं मिलती। जब पुनीत को स्पेन जाना था तो टिकट और अन्य खर्चों के लिए पैसे कम पड़े तो उन्हें अपनी कार बेचनी पड़ी। अब पुनीत को थाईलैंड ट्रेनिंग के लिए जाना है। पिता का कहना है कि इसके लिए घर के कागजात तैयार कर रहे हैं।

उड़ान के लिए पंख नहीं हौसला चाहिए : पुनीत

पुनीत का कहना है कि हादसे के समय पिता ने कहा था, उड़ान के लिए केवल पंखों की ही नहीं बल्कि हौसले की भी जरूरत होती है। दाईं बाजू बेकार होने के बाद बैडमिंटन के लिए लेफ्ट साइड को डेवेल्प करने के लिए शुरुआत में काफी दिक्कत आई। इसके लिए रूटीन में अपने कोच
पंकज दत्ता के पास प्रेक्टिस शुरू की। रोज शाम 3 घंटे बेडमिंटन कोर्ट में
उसने खूब पसीना बहाया।

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