पाखंडी बाबा के कहने पर लड़की ने किया वो काम, जिससे….

13 साल की जैन लड़की आराधना की 68 दिन के उपवास के बाद मौत हो गई। दरअसल, आराधना के पिता एक संत को मानते हैं। उन्होंने आराधना के पिता से कहा था कि अगर बेटी चार महीने का उपवास करेगी तो बिजनेस में फायदा होगा। आराधना के पिता का ज्वैलरी का बिजनेस है।

68 दिन के उपवास के

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मामला 2 अक्टूबर का है। लेकिन 7 अक्टूबर को बलाला हक्कुला संगम के प्रेसिडेंट अच्युत राव ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आराधना के पेरेंट्स पर कार्रवाई करने की बात कही है।

राव के मुताबिक, “आराधना सिकंदराबाद के सेंट फ्रांसिस स्कूल में 8th क्लास में पढ़ती थी।”

राव ये भी बताते हैं, “चेन्नई के एक संत ने आराधना के पेरेंट्स लक्ष्मीचंद समदड़िया और मनीषा को सलाह दी थी कि अगर उनकी बेटी 4 महीने उपवास कर ले तो उनके बिजनेस में फायदा होगा।”

“लंबा उपवास तोड़ने के बाद आराधना बेहोश होकर नीचे गिर गई थी और कोमा में चली गई। उसे तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।”

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फैमिली का दावा है कि आराधना ने 68 दिन फास्ट किया था।

उसके उपवास खोलने के दो दिन बाद उसे हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई।

आराधना की अंतिम यात्रा में करीब 600 लोग शामिल हुए और उसे ‘बाल तपस्वी’ बताया।

परिवार के करीबी लोगों ने बताया कि इससे पहले भी आराधना 41 दिन का उपवास कर चुकी थी।

कम्युनिटी की मेंबर लता जैन ने बताया, “उपवास के जरिए लोग अपने शरीर को काफी तकलीफ देते हैं। वे खाना-पानी छोड़ देते हैं। ऐसा करने वालों को समाज में काफी सम्मान दिया जाता है। लेकिन इस मामले में लड़की नाबालिग थी। यही मेरा आरोप है। अगर ये मर्डर न भी हो तो सुसाइड तो है ही।”

आराधना के पिता की सिकंदराबाद के पोट बाजार इलाके में ज्वैलरी शॉप है।

एक सवाल ये भी उठ रहा है कि इतने दिनों के उपवास रखने वाली आराधना को क्लास में कैसे बैठने दिया गया?

आराधना के दादा मानिकचंद के मुताबिक, “हमने किसी से कुछ नहीं छिपाया। सभी जानते थे कि वह उपवास पर है। लोग आते थे और उसके साथ सेल्फी खिंचवाते थे। अब कुछ लोग उंगलियां उठा रहे हैं कि हमने उसे 68 दिन का उपवास क्यों रहने दिया।”

hindi.news24online.com से साभार…

 
Back to top button