ब्रेकिंग न्यूज़: इस शहर से हुए गायब हुए 600 करोड़ के नए नोट

जी हाँ!! अभी सभी लोगों तक नये नोट पहुंचे भी नही कि इसी बीच भारत के इस बड़े शहर से गायब हुए गायब हुए 600 करोड़ के नए नोट| नोट बंदी के बाद से अकेले जबलपुर जिले में छह अरब रुपए की करेंसी रविवार तक बदली जा चुकी है। इसके विरुद्ध बाजार में नए नोट एक से सवा करोड़ के ही आ पाए हैं। जो चलन में आए वे भी व्यापारियों के पास ही रुक गए हैं। सोमवार को बाजार में दो हजार रुपए का नोट लेकर खरीदारी करने वाले लोग इक्का-दुक्का ही दिखे। छोटे नोटों की कमी का सीधा प्रभाव फुटकर व सीजनल बाजार पर पड़ रहा है। गल्ला, सब्जी, कपड़ा और चौपाटी जैसे क्षेत्रों में आम दिनों की अपेक्षा 30 से 40 प्रतिशत ही बाजार हुआ।
बैंक में 80 प्रतिशत लोग लगे हैं बेवजह
चार्टर्ड एकाउंटेंट एसके गुप्ता ने बताया कि वर्तमान की स्थिति में पैसों की भुखमरी चल रही है। नोट एक्सचेंज करने वालों की लाइन में 80 प्रतिशत लोग बेवजह लगे हुए हैं। 20 प्रतिशत लोग ही जरूरतमंद हैं, इसलिए नए नोट बाजार में दिखाई नहीं दे रहे हैं। लोग यदि नए नोट नहीं निकालेंगे तो करेंसी जाम होने लगेगी जिससे परेशानी होगी। 10 दिनों में पैसा बाहर आने की उम्मीद है। लोगों ने यदि नए नोटों का मोह नहीं छोड़ा तो बाजार व्यापारियों के अनुसार चलेगा जिसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ेगा। वर्तमान में बाजार 30 प्रतिशत बचा हुआ है। लोग जैसे तैसे अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। नए नोटों को बाजार में आने दें, तभी इस समस्या से निजात मिलेगी। बाजार में फिर एक बार बूम आ जाएगा, चीजें सस्ती हो जाएंगी।
सरकार स्पष्ट करे 50 दिन बाद की स्थिति
महाकोशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स के प्रवक्ता शंकर नाग्देव का कहा कि बुधवार से पुराने के बदले नए नोट दिए जा रहे हैं। किंतु नए नोटों का चलन अभी बाजार में नाममात्र का ही देखा जा रहा है। इसकी दो वजहे हैं, पहला लोग नए नोट को अपने पास रखना चाहते हैं। दूसरा वित्तीय भय भी है। सरकार द्वारा अभी तक केवल डराने के लहजे से बातें कहीं जा रही हैं। वहीं 50 दिन बाद की स्थिति को लेकर कोई भी वित्तीय संस्था या सरकार स्पष्ट नहीं कर रही है कि आगे क्या होगा। एेसे में लोगों ने सुरक्षित समझकर नए नोट दबा लिए हैं। एक अनुमान के अनुसार केवल 10 प्रतिशत नए नोट ही बाजार में आए हैं।
सामान्य दिनों की तरह लोग नोट चलाएं
चेम्बर सदस्य एवं मिष्ठान विक्रेता कैलाश साहू के अनुसार नए नोट लेकर आने वाले ग्राहकों की संख्या नगण्य स्थिति में है। पांच दिनों में 10 से 15 लोग ही नए नोट लेकर दुकान पर आए हैं। जबकि बैंकों द्वारा अकेले जबलपुर में करोड़ों रुपए प्रतिदिन बदले जा रहे हैं। लोगों को सामान्य दिनों की तरह नोट चलाने होंगे, अन्यथा बाजार बैठ जाएगा। जिसका खामियाजा दैनिक वस्तुओं को महंगे दामों पर खरीदकर चुकाना पड़ेगा। यह एक तरह की मुद्रा जमाखोरी है, लोगों को भारी पड़ सकती है।