Kidneys_1200एजेंसी/साल 2006 से हर साल आज के दिन यानि 10 मार्च को पूरे विश्व में वर्ल्ड किडनी डे मनाया जाता है। भारत के शहरी मरीजों में 17 फीसदी किडनी पेशेंट्स हैं। स्क्रीनिंग एंड अर्ली इवोल्यूशन ऑफ किडनी डिसीज की स्टडी में यह आंकड़ा सामने आया। इसमें भोपाल सहित 12 शहरों के आंकड़ों को शामिल किया गया है। भोपाल में तीन हजार से ज्यादा लोग क्रॉनिक किडनी डिजीज़ से पीड़ित हैं। यानी उनकी किडनी पूरी तरह से खराब हो चुकी है।

वर्ल्ड किडनी डे : बच्चों में किडनी रोग

कई लोगों को लगता है कि किडनी या गुर्दे की बीमारियां केवल वयस्कों में होती हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि बच्चों को भी किडनी से संबंधित कई बीमारियां हो सकती हैं। इन रोगों का इलाज यदि समय पर नहीं कराया जाए, तो क्रॉनिक किडनी फेल्योर भी हो सकता है।

बच्चों में भी किडनी की बीमारी के कारण हाई ब्लडप्रेशर की समस्या हो सकती है। इसलिए बच्चों में ब्लडप्रेशर की जांच की जानी चाहिए।  बच्चों में यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यू.टी.आई.) होने की स्थिति में उनकी इस समस्या की अनदेखी न करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि यूटीआई की समस्या बच्चों में किसी अंदरूनी बीमारी का लक्षण हो सकती है।

गुर्दे की बीमारी की पहचान के अन्य लक्षणों में पेशाब करने में परेशानी होना या बहुत अधिक या बहुत कम पेशाब का निकलना आदि लक्षण प्रकट हो सकते हैं। इसके अलावा पेशाब निकलने के कारण अंडर गार्मेंट का गीला रहना, रात में बिस्तर पर पेशाब होना, सोकर जागने के बाद आंखों के चारों ओर सूजन होना आदि लक्षण प्रकट हो सकते हैं।

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