45 साल बाद खुलेगा मशहूर फूलों की घाटी का बंद रास्ता

valley-of-flowers2-415x260देहरादून। 45 वर्षों से ग्लेशियर में दबे फूलों की घाटी को जाने वाले कुंठखाल-हनुमान चट्टी पैदल ट्रैक को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने सुधार लिया है। अगले साल यह पार्क के नक्शे से जुड़ जाएगा। पार्क प्रशासन ने इस पर डेढ़ करोड़ रुपये खर्च कर करीब एक मीटर चौड़ा पैदल ट्रैक बनाया है। 1970 के बाद से चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी कुंठखाल ट्रैक बंद पड़ा था। यह ट्रैक पूर्व में ब्रिटिश अफसरों की पहली पसंद हुआ करता था।

ब्रिटिश अफसर कई महीनों तक फूलों की घाटी और कुंठखाल में तंबू लगाकर यहां की वादियों का आनंद उठाते थे। एडवेंचर ट्रैकिंग जोशीमठ के मैनेजर संतोष कुमार इस ट्रैक के संचालन को हरी झंडी मिलते ही बेहतर टूर पैकेज की उम्मीद जताते हैं।

25 किमी लंबा है यह ट्रैक
पर्वत श्रृंखलाओं के बीच से गुजरने वाला यह ट्रैक 25 किलोमीटर का है। पर्यटकों को ट्रैक पार करने में 17 घंटे लगते हैं। फूलों की घाटी से 11 किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है – कुंठखाल, जहां ‘ब्रह्म कमल’ की पैदावार होती है। कुंठखाल में रात्रि विश्राम करने के बाद 14 किमी ढलान वाला मार्ग है जो बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हनुमान चट्टी पहुंचाता है। हेमकुंड साहिब तीर्थधाम के प्रवेश द्वार गोविंदघाट से घांघरिया तक 13 किमी की पैदल दूरी घोड़े से तय की जा सकती है। इसके बाद फूलों की घाटी के मध्य भाग से कुंठखाल के लिए पगडंडीनुमा रास्ता जाता है, जो कई पर्वत श्रृंखलाओं के बीच से होकर हनुमानचट्टी निकलता है।

 

 

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