42 साल बाद इस महाशिवरात्रि पर बन रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग, भूलकर भी ना करें यह गलतियां
42 साल बाद महाशिवरात्रि सर्वार्थ सिद्धि योग पर महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जाएगा। भगवान शिव पंच भूताें के स्वामी हैं। इनकी पूजा करने से हर मनाेकामना पूरी हाेती है अाैर गलती करने पर खुद महाकाल सजा देते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित उमाकांत त्रिवेदी के मुताबिक महाशिवरात्रि 13 फरवरी को है। शिव आराधना का मुहूर्त आठो प्रहर चौबीस घंटे रहता है। लेकिन कुछ खास समय पर पूजा का एक अलग महत्व होता है। शुभ समय में की गई आराधना का फल जल्दी मिलता है। मनोकामनाएं शीघ्रता से पूरी होती है। शिवरात्रि सदैव अर्द्धरात्रि को ही मानी जाती है।
सोमवार को रात 8.07 बजे से त्रयोदशी यानी प्रदोष लग रहा है। यह मंगलवार रात 10.38 बजे तक रहेगा। ऐसे में महाशिवरात्रि श्रवण नक्षत्र और सिद्धि योग में होगी। इसके चलते यह सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। उन्होंने बताया कि महिलाएं व लड़कियां विशेष कामना के साथ महाशिवरात्रि व्रत रखती हैं। उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है।
विवाहिता सौभाग्यशालिनी बनी रहती हैं। दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है। संतान सुख मिलता है। धन, धान्य, यश, सुख, समृद्धि, वैभव, ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। आरोग्य वरदान मिलता है। नौकरी व कॅरियर में मनचाही सफलता मिलती है।शहर के बांबेश्वर मंदिर, संकट मोचन मंदिर शिवालय और विश्व प्रसिद्ध कालिंजर के नीलकंठेश्वर मंदिर, अतर्रा का गौराबाबा धाम, बबेरू व खप्टिहाकलां में पशुपति नाथ व प्राचीन शिवालय में महाशिवरात्रि पर दर्शनार्थियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं हैं। सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। घर में भी मिट्टी का शिवलिंग बना सकते हैं।
शहर के बांबेश्वर मंदिर, संकट मोचन मंदिर शिवालय और विश्व प्रसिद्ध कालिंजर के नीलकंठेश्वर मंदिर, अतर्रा का गौराबाबा धाम, बबेरू व खप्टिहाकलां में पशुपति नाथ व प्राचीन शिवालय में महाशिवरात्रि पर दर्शनार्थियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं हैं। सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। घर में भी मिट्टी का शिवलिंग बना सकते हैं।