33 साल पुरानी परंपरा तोड़, बिपिन रावत को बनाया आर्मी चीफ

मोदी सरकार ने 33 साल पुरानी परंपरा को तोड़ जनरल विपिन रावत को थलसेना का प्रमुख बनाया है। रक्षा मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया सेना प्रमुख नियुक्त करने का फैसला किया है और यह नियुक्ति 31 दिसंबर दोपहर बाद से प्रभावी होगी।

आम तौर पर सेना प्रमुख के नियुक्ति की घोषणा 2 से 3 महीने पहले होती थी लेकिन पहली बार सरकार ने महज 14 दिन पहले इस बात की घोषणा की है। इतना ही नहीं 33 साल बाद सेना में वरिष्ठता के आधार पर वरीयता नहीं दी गई है।

बता दें कि जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बाद लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी को आर्मी में सबसे सीनियर होने के नाते आर्मी चीफ पद का अगला दावेदार माना जा रहा था। साल 1983 में लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा के बाद आर्मी में नए चीफ के लिए वरिष्ठता को प्रमुखता दी गई है। तब लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया था।

इस बार रक्षा मंत्रालय की ओर से बार-बार संकेत दिए गए थे कि सिर्फ वरिष्ठता ही आधार न हो। बिपिन रावत न सिर्फ लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी के बाद बल्कि तीसरे दावेदार बताए जा रहे। वह दक्षिणी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हैरिज के भी जूनियर हैं।

हालांकि, बिपिन रावत ने 1 सितंबर को वाइस चीफ का कार्यभार संभाला था, जिससे वह रेस में प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। ऊंचाई वाले इलाकों में अभियान चलाने और उग्रवाद से निपटने का उन्हें खासा अनुभव है। उनकी नियुक्ति चीन से लगे लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल और कश्मीर में रह चुकी है।

हालांकि ऐसी अटकलें थीं कि अगर पूर्वी कमान के कमांडर प्रवीण बख्शी अगले दावेदार नहीं चुने गए तो उन्हें संतुष्ट करने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया जा सकता है। सेना में पहली बार इस पद का सृजन होता और तालमेल और सिंगल पॉइंट सलाह के लिए यह बहुत जरूरी भी माना जा रहा है। लेकिन शनिवार की घोषणा में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है।

एयरफोर्स में एयर चीफ मार्शल अरूप राहा के रिटायरमेंट के बाद एयर मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ को सबसे सीनियर होने के नाते नए चीफ पद का दावेदार माना जा रहा था। कारगिल जंग के दौरान उन्होंने शानदार भूमिका भी निभाई थी।

 

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