जब 26 साल बाद एक मंच पर दिखे मुलायम और मायावती, तस्वीरों में देखें कुछ ऐसा था वहां का नजारा…

कभी एक-दूसरे के धुर-विरोधी रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) मुखिया मायावती जब 26 साल बाद एक साथ मंच पर आए तो यह भारतीय राजनीति की ऐतिहासिक तस्वीर बन गई.

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में सपा, बसपा और आरएलडी की संयुक्त महारैली में दशकों तक प्रतिदंद्वी रहे मायावती और मुलायम की दोस्ती देखने को मिली.

मुलायम और मायावती 1995 के बाद से एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं. लंबे अरसे बाद दोनों दिग्गज एक साथ एक मंच पर आए. बीएसपी सुप्रीमो मायावती मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंची थीं.

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जब दोनों नेता एक साथ दिखे तो उनकी पुरानी दुश्मनी का कहीं कोई निशान नजर नहीं आया. दोनों के चेहरे पर मुस्कुराहट थी. मुलायम अपने कार्यकर्ताओं से मायावती को मिला रहे थे और उनसे उनके पैर छूने को कह रहे थे. मुलायम ने कहा, “हम मायावती जी का स्वागत करते हैं, मैंने हमेशा से मायावती का सम्मान किया है.”

मंच पर बीएसपी प्रमुख मायावती मुलायम सिंह के दाएं बैठी हुई थीं जबकि अखिलेश उनके बाएं. दोनों दिग्गज नेता एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए और एक-दूसरे के भाषण पर तालियां बजाईं. मंच पर आने से पहले भी दोनों नेता बातचीत करते रहे.

बसपा प्रमुख मायावती ने भी अपने भाषण में मुलायम सिंह यादव की जमकर तारीफ की और कहा कि मुलायम सिंह ही पिछड़ों के असली नेता हैं. मायावती ने नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि वह खुद को ओबीसी बताते हैं लेकिन वो फर्जी ओबीसी हैं.

मायावती ने कहा कि 2 जून, 1995 के गेस्टहाउस कांड को भुलाकर हम एक साथ आए हैं. कभी-कभी कठिन फैसले लेने पड़ते हैं. मुलायम सिंह जी ने पिछड़े लोगों को जोड़ा है. वह (मुलायम) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह फर्जी पिछड़ी जाति के नहीं हैं.  

 

 

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