25 जनवरी के बाद ओमप्रकाश राजभर ले सकते हैं बड़ा फैसला, भाजपा के रुख का इंतजार

सपा-बसपा गठबंधन के बाद अब छोटे दलों को अपने-अपने पाले में खींचने की राजनीति शुरू हो गई है। इसके मद्देनजर भाजपा से नाराज चल रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से भी कांग्रेस समेत कई सियासी दल संपर्क साधे हुए हैं। 25 जनवरी के बाद ओमप्रकाश राजभर ले सकते हैं बड़ा फैसला, भाजपा के रुख का इंतजार

हालांकि, राजभर जल्दबाजी में कोई निर्णय लेने के मूड में नहीं हैं। लिहाजा वह फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति अपनाए हुए हैं। सुभासपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राजभर 25 जनवरी तक भाजपा के रुख का इंतजार करेंगे इसके बाद ही कोई बड़ा फैसला लेंगे।

दरअसल, बसपा-सपा में गठबंधन होने के बाद भी इन दोनों दलों के रणनीतिकारों की कोशिश है कि भाजपा को कमजोर करने के लिए एनडीए में शामिल उन नेताओं को भी अपने पाले में लाया जाए, जो सरकार में रहते हुए भाजपा से नाराज चल रहे हैं। 

ऐसे में निगाहें कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर और अपना दल (एस) पर टिकी हैं। सूत्रों की मानें तो सपा के शीर्ष नेतृत्व ने राजभर से संपर्क भी साधा है। जबकि बसपा की ओर से एक प्रभावी विधायक भी राजभर से मिल चुके हैं। 

कहा तो यह भी जा रहा है कि सपा व बसपा की ओर से 1-1 सीट राजभर को देने का ऑफर भी दिया गया था, लेकिन राजभर ने उसे खारिज कर दिया है। वह फिलहाल नफा-नुकसान का आकलन कर रहे हैं।

राजभर की प्राथमिकता में अभी भी भाजपा
मुख्य रूप से सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ सार्वजनिक रूप से मोर्चा खोलने वाले कैबिनेट मंत्री राजभर की प्राथमिकता में अभी भी भाजपा ही है। इसका इजहार वह कई बार कर भी चुके हैं।

वैसे भी भाजपा से अलग होने का तोहमत वह अपने सिर नहीं लेना चाहते। वह कह भी रहे हैं कि अगर प्रदेश सरकार पिछड़ों के आरक्षण का बंटवारा कर देती है तो वह आगामी लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ ही लडे़ंगे। 

राजभर की प्राथमिकता में अभी भी भाजपा

मुख्य रूप से सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ सार्वजनिक रूप से मोर्चा खोलने वाले कैबिनेट मंत्री राजभर की प्राथमिकता में अभी भी भाजपा ही है। इसका इजहार वह कई बार कर भी चुके हैं। वैसे भी भाजपा से अलग होने का तोहमत वह अपने सिर नहीं लेना चाहते। वह कह भी रहे हैं कि अगर प्रदेश सरकार पिछड़ों के आरक्षण का बंटवारा कर देती है तो वह आगामी लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ ही लडे़ंगे। 
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