2024-25 तक 35,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात सहित 1,75,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्माण का लक्ष्य रखा है- सरकार

सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने 2024-25 तक 35,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात सहित 1,75,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्माण का लक्ष्य रखा है। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने सोमवार को राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि 2021-22 में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा निर्माताओं द्वारा किए गए उत्पादन का मूल्य 86,078 करोड़ रुपये था। इनके द्वारा किए गए उत्पादन का मूल्य वर्ष 2020-21 में 88,631 करोड़ और 2019-20 में 63,722 करोड़ रुपये था। उत्पादन मूल्य 2018-19 में 50,499 करोड़ और 2017-18 में 54,951 करोड़ रुपये था।

सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण जरूरी

उन्होंने बताया कि रक्षा निर्यात का मूल्य वर्ष 2021-22 में 12,815 करोड़ रुपये था। चालू वित्त वर्ष में इस माह की छह तारीख तक यह आंकड़ा 13,398 करोड़ पर पहुंच चुका है। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण दीर्घकालिक एकीकृत योजना पर आधारित एक सतत प्रक्रिया है। भट्ट ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में पूंजीगत अधिग्रहण के लिए 1,24,408.66 करोड़ की राशि निर्धारित की गई है, जिसे बढ़ाकर वर्ष 2023-24 के लिए 1,32,727 करोड़ रुपये कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा डीआरडीओ ने स्वदेशी हथियारों और प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए पिछले तीन वर्षों में 23,722 करोड़ रुपये की लागत से 50 मिशन मोड और प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाएं शुरू की हैं।

एक अन्य सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि भारतीय नौसेना ने महिलाओं के लिए सभी शाखाएं खोल दी हैं। ये शाखाएं कार्यकारी, इंजीनियरिंग, इलेक्टि्रकल और शिक्षा आदि हैं। कार्यपालक शाखा के तहत भर्ती के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं की संख्या 3941, इंजीनियरिंग विंग के लिए 360 और इलेक्टि्रकल के लिए 652 है। इसके अलावा शिक्षा विंग के लिए 411 महिलाओं ने आवेदन किया है।

अमेठी प्लांट में एके-203 राइफलों का हो रहा निर्माण

भारतीय सशस्त्र बलों के लिए कलाश्निकोव एके-203 राइफल अभी निर्माण और परीक्षण के चरण में है। उत्तर प्रदेश के कोरवा (अमेठी) में भारत-रूस का संयुक्त उद्यम इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आइआरआरपीएल) स्वदेशी असाल्ट राइफलों के उत्पादन में लगा है। इससे भारतीय रक्षा बलों को असाल्ट राइफलों के संबंध में आत्मनिर्भरता मिलेगी। भट्ट द्वारा सूचीबद्ध स्वदेशी रक्षा परियोजनाओं में 155 मिमी आर्टिलरी गन सिस्टम ‘धनुष’, हल्के लड़ाकू विमान तेजस, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली ‘आकाश’, मुख्य युद्धक टैंक ‘अर्जुन’, टी-90 टैंक, टी-72 टैंक, चीता हेलीकाप्टर और उन्नत हल्के हेलीकाप्टर डोर्नियर डीओ-228 शामिल हैं। रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि देश में स्वदेशी डिजाइन, विकास और रक्षा उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न नीतिगत पहलों का उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करना है।

विदेश से रक्षा खरीद पर खर्च में गिरावट आई

दिसंबर 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी स्त्रोतों से रक्षा खरीद पर खर्च 2018-19 में कुल व्यय के 46 प्रतिशत से घटकर 36.7 प्रतिशत हो गया है। रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि रक्षा औद्योगिक सहयोग बढ़ाने के लिए भारत मित्र देशों (एफएफसी) के साथ नियमित रूप से बातचीत करता है। उन्होंने कहा कि एफएफसी के साथ रक्षा औद्योगिक सहयोग का उद्देश्य नई तकनीकों का विकास, अनुसंधान और विकास, सह-विकास और सह-उत्पादन, रक्षा निर्यात को बढ़ावा देना, संयुक्त उद्यमों की स्थापना, भारतीय एमएसएमई का एकीकरण और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में स्टार्टअप है।

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