2019 चुनाव: महाराष्‍ट्र में भाजपा और शिवसेना को हराने के लिए कांग्रेस ने बनाई यह रणनीति

मुंबई। महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा नेताओं ने अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए सीटों के तालमेल की खातिर मंगलवार को प्रारंभिक बातचीत शुरू की। कांग्रेस का कहना है कि इस कदम का मकसद भाजपा और शिवसेना से मुकाबला करने के लिए ’’धर्मनिरपेक्ष’’ दलों का ’’महागठबंधन’’ बनाना है।

दोनों पार्टियां 1999 से 15 वर्षों तक महाराष्ट्र में शासन में रही थीं। लेकिन 2014 के विधानसभा चुनावों में वे भाजपा से पराजित हो गयीं। चुनाव के पहले दोनों पार्टियां अलग हो गयी थीं। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि दोनों दलों के नेताओं ने भाजपा और शिवसेना से मुकाबला करने के लिए चुनाव तैयारियों पर चर्चा की खातिर मुलाकात की और कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत थी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ’’यह एक अच्छी शुरुआत थी। दोनों पार्टियों ने सर्वसम्मति से धर्मनिरपेक्ष दलों के महागठबंधन का फैसला किया। हमारी मुख्य लड़ाई भाजपा और शिवसेना से है और हमें धर्मनिरपेक्ष मतों के विभाजन से बचना होगा।’’ चव्हाण ने कहा कि दोनों पक्ष इसी हफ्ते फिर मिलेंगे।

नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे-पाटिल और चव्हाण के अलावा बैठक में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिदे, पूर्व राज्य इकाई प्रमुख माणिकराव ठाकरे, मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम आदि शामिल हुए।

राकांपा की ओर से प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल, पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार, मुंबई राकांपा अध्यक्ष सचिन अहीर और छगन भुजबल आदि ने बैठक में भाग लिया। 2014 के लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से राकांपा को चार सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस को केवल दो सीटें मिली थी। 

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