20 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप, देसाई के इस्तीफे पर अड़ा विपक्ष

मुंबई. गृह निर्माण मंत्री प्रकाश मेहता के बाद अब शिवसेना नेता व उद्योग मंत्री सुभाष देसाई भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। विपक्ष ने देसाई पर 20 हजार करोड़ रुपए के जमीन घोटाले का आरोप लगाया है। साथ ही मामले की एसआईटी से जांच कराने की मांग की है। विधानमंडल के दोनों सदनों की मंगलवार को कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने मेहता के साथ देसाई को भी हटाने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। वहीं, मंत्री देसाई ने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताया है।
20 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप, देसाई के इस्तीफे पर अड़ा विपक्ष
उन्होंने इस मुद्दे पर सदन में स्पष्टीकरण देने की कोशिश की, लेकिन हंगामे के कारण अपना पक्ष नहीं रख पाए। बाद में उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रखी। विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने नियम 289 के तहत यह मुद्दा उठाया।

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उन्होंने कहा कि मंत्री देसाई और एसआरए परियोजना में भ्रष्टाचार के आरोप में मंत्री मेहता के इस्तीफे तक सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी जाएगी। विपक्षी विधायकों ने दोनों मंत्रियों के इस्तीफे की मांग को लेकर विधानभवन परिसर में प्रदर्शन भी किया।

मुंडे ने 12,421 हेक्टेयर भूमि को डिनोटिफाइड करने का लगाया आरोप
मुंडे ने पत्रकारों से बातचीत में उद्योग मंत्री देसाई पर 20 हजार करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने देसाई पर नाशिक के इगतपुरी में एमआईडीसी की 12,421.77 हेक्टेयर भूमि को डिनोटिफाइड करने का आरोप लगाया।
 
मुंडे ने कहा कि एक किसान ने 8 जून, 2015 को देसाई के पास एमआईडीसी की भूमि को उसे वापस देने के लिए आवेदन किया था। देसाई ने उद्योग विभाग के विरोध के बावजूद किसान के प्रस्ताव को मंजूर कर दिया।
 
किसान का नाम अभय अंबालाल नहार है, जो पेशे से बिल्डर है। अभय अंबालाल नहारा डेवलपर नाम की बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी के निदेशक हैं। इगतपुरी के गोंदेदुमाला गांव में भी एक किसान की जमीन डिनोटिफाइड की गई है। वास्तव में यह किसान स्वस्तिक प्रॉपर्टी के निदेशक कमलेश वाघरेचा, राजेश वाघरेचा और राजेश मेहता हैं।
 
तत्कालीन उद्योग मंत्री नारायण राणे ने विभाग के अभिप्राय को मान्य करके एमआईडीसी की भूमि को वापस मालिक को न देने का निर्णय लिया था। राणे ने 14 फरवरी 2014 को केवल अंगूर व गन्ने की खेती वाली जमीन को वापस किसान को देने का निर्णय लिया था, लेकिन देसाई ने पूरी जमीन को ही डिनोटिफाइड करने का फैसला किया।
 
एपीएमसी के चुनाव में अब मतदान कर सकेंगे किसान
कृषि उत्पन्न बाजार समिति चुनाव में किसानों को वोट देने का अधिकार दिलाने वाला विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पारित हो गया। मुंबई एपीएमसी को छोड़कर राज्य के सभी एपीएमसी में किसान संचालक पद के चुनाव में मतदान कर सकेंगे।
बाजार समिति के चुनाव में अब किसानों के वोट निर्णायक साबित होंगे। एपीएमसी के कार्यक्षेत्र में रहने वाले और पिछले पांच वर्षों में से कम से कम तीन बार बाजार समिति में कृषि माल बेचने वाले किसान को संचालक के चुनाव में मतदान का अधिकार होगा।
सरकार का मानना है कि एपीएमसी चुनाव में किसानों की भागीदारी से इसके कामकाज में अधिक पारदर्शिता आएगी। बाजार समितियों में सरकार द्वारा सदस्यों को नामित करने का अधिकार समाप्त कर दिया गया है। दरअसल, कृषि उत्पन्न बाजार समितियों पर से कांग्रेस-राकांपा का कब्जा हटाने के लिए फडणवीस सरकार ने 13 जून 2017 को महाराष्ट्र कृषि उत्पन्न विपणन संशोधन आदेश जारी किया था।
 
“वर्ष 2015-17 के दौरान उद्योग विभाग ने अधिसूचित की गई भूमि में से 90 फीसदी को डिनोटिफाइड कर दिया। इस मामले में आर्थिक लेनदेन हुआ है, इसलिए इसकी जांच कराई जाए। जनवरी 2015 से मार्च 2017 के बीच एमआईडीसी के लिए 14,219 हेक्टेयर भूमि अधिसूचित की गई। इसमें से 12,429 हेक्टेयर भूमि को किसानों के विरोध के नाम पर डिनोटिफाइड कर दिया गया।” 
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