1984 सिख दंगा मामले में सज्जन कुमार की अपील पर SC ने CBI से 6 हफ्ते में मांगा जवाब

1984 सिख दंगा मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सीबीआई को नोटिस जारी करके 6 हफ्ते में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर भी जवाब मांगा है. सज्जन कुमार ने याचिका में 1984 सिख दंगा मामले में दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. 73 वर्षीय सज्जन कुमार ने 31 दिसंबर 2018 को ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर किया था.1984 सिख दंगा मामले में सज्जन कुमार की अपील पर SC ने CBI से 6 हफ्ते में मांगा जवाब

सोमवार को सज्‍जन कुमार की अपील पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने सुनवाई की. दरअसल, सज्जन कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को दिल्ली कैंट इलाके में सिखों के कत्लेआम मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

बता दें कि हाईकोर्ट ने दिल्ली कैंट इलाके में सिखों के कत्लेआम मामले में सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. इसके अलावा कोर्ट ने सज्जन कुमार पर 5 का जुर्माना भी लगाया था. हाईकोर्ट ने बाकी 5 दोषियों पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया था, जिनमें बलवान खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल को उम्रकैद जबकि महेंद्र यादव और किशन खोखर की सजा 3 से 10 साल बढ़ा दी थी.

जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा था कि 1947 में विभाजन के समय हुए नरसंहार के 37 साल बाद फिर हजारों लोगों की हत्या हुई.  गौरतलब है कि दिल्‍ली हाईकोर्ट ने सज्‍जन कुमार की ओर से की गई सरेंडर की मियाद (समयसीमा) बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया था. दिल्‍ली हाईकोर्ट ने सरेंडर की मियाद बढ़ाने से इनकार कर दिया था.

अब सज्‍जन कुमार को 31 दिसंबर को ही सरेंडर करना होगा. सज्जन कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर सरेंडर की मियाद 30 दिनों की बढ़ाने की मांग की थी. पीएम की हत्या के बाद एक समुदाय को निशाना बनाया गया. हत्यारों को राजनीतिक संरक्षण था. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली कैंट के राज नगर में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या की गई थी.

निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था. वहीं कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, रिटायर्ड नेवी अफसर कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल को उम्रकैद की सजा और बाकी दो दोषियों पूर्व MLA महेंद्र यादव, किशन खोखर को 3 साल की सजा सुनाई थी. जबकि कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया गया था. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दोषियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी.

वहीं सीबीआई ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी करने के खिलाफ अपील की थी. इससे पहले सीबीआई ने आरोप लगाया था कि सज्जन कुमार सांप्रदायिक दंगा फैलाने में शामिल थे. पीड़ित परिवारों ने भी सज्जन कुमार को बरी करने के खिलाफ अपील याचिका दायर की थी.

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