19वीं रमजान का जुलूस पुराने लखनऊ से निकाला ,छा गया इमाम की शहादत का गम

 19वीं रमजान के जुलूस में हजरत इमाम अली अलेहिस्सलाम की शहादत का गम छा गया। इमामबाड़े हों दरगाहें या फिर इमाम के चाहने वालों के घर। हर जगह फर्श-ए-अजा बिछा दी गई। रमजान की खुशियों को भूल रोजेदार गम में डूब गए। जुलूस में हजारों की संख्‍या में अजादार शामिल हुए। भारी संख्‍या में पुलिस दल के बीच जुलूस निकाला गया।

शुरू हुआ मजलिसों का दौर 

वहीं शुक्रवार से शहर में चार दिवसीय मजलिसों का दौर शुरू हो गया। पहले दिन अजादारों ने मजलिस में शामिल होकर मातम कर आंसुओं का पुरसा पेश किया। सुबह छह बजे गिलीम का जुलूस रोजा-ए-काजमैन थाना सआदतगंज से निकला। जहां अजादारों ने आंसुओं का पुरसा पेश किया। इसके बाद जुलूस  मंसूर नगर तिराहा, गिरधारी सिंह कुंवर इण्टर कॉलेज से होते हुएए टुडिय़ागंज तिराहा पहुंचा। यहां से नक्खास, अकबरी गेट, पाटानाला चौकी, शिया कालेज होते हुये सेन्ट ज्यूड्स केजी एवं प्राइमरी स्कूल इमामबाड़ा मोहम्मद तकी के पास जाकर समाप्त हुआ। जुलूस में हजारों की संख्‍या में अजादार मौजूद रहे।

सजदे की हालत में हुई थी इमाम की शहादत 

इमामबाड़ा शबीह-ए-नजफ में मौलाना मिर्जा जाफर अब्बास ने बयान किया।19वीं रमजान को दामाद-ए-पैगंबर हजरत अली की याद में निकाला जाता है। इसमें परंपरागत तरीके से सुबह से ही लोग जुलूस में शामिल होते हैं। इस दौरान मजलिस भी होती है।19वीं रमजान की सुबह मस्जिद-ए-कूफा में सजदे (नमाज) की हालत में कातिल इब्ने मुलजिम ने जहर बुझी तलवार से इमाम के सिर पर हमला किया था। इस हमले के बाद 21वीं रमजान को इमाम की शहादत हो गई थी।  इसके बाद से उनकी याद में 19वीं रमजान से जुलूस और मजलिसों का दौर शुरू होता है। यह सिलसिला 21वीं रमजान तक चलता है।

नजफ-ए-अशरफ से शबीह-ए-नजफ तक किताब का हुआ विमोचन 

शुक्रवार को मजलिस से पहले ताबूत मुबारक के 150 वर्ष पूरे होने पर कमेटी की ओर से नजफ-ए-अशरफ से शबीह-ए-नजफ तक किताब का विमोचन भी किया गया। मौलाना मिर्जा मुहम्मद अशफाक, मौलाना यासूब अब्बास व मौलाना मीसम जैदी सहित कई मौलाना ने किताब का विमोचन किया।

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