150 साल बाद इस गांव से हाईस्‍कूल में पास हुए चार बच्‍चे

villagestudents_12_05_2016रामपुरहाट। मेतेलदांगा गांव में 150 सालों में पहली बार चार बच्‍चों ने माध्‍यमिक शिक्षा हासिल की है। यह गांव बीरभूमि के मयूरेश्‍वर ब्‍लॉक 1 में है, जो शांतिनिकेतन से महज 56 किमी दूर है। शांतिनिकेतन में टैगोर ने अपनी मॉडल एजुकेशन को आकार दिया था।

मगर, इस गांव में माध्‍यमिक शिक्षा हास‍िल करने में 150 साल लग गए। बहरहाल, 40 परिवारों वाले इस गांव में अब खुशी का माहौल है क्‍योंकि यहां के चार बच्‍चों ने स्‍कूल स्‍तरीय परीक्षा पास की है। इनमे से दो लड़कियां हैं। गांव में ज्‍यादातर किसान रहते हैं। यहां के बुजुर्गों ने बताया कि गांव करीब 150 साल पुराना है।

माध्‍यमिक परीक्षा पास करने वाले बच्‍चे खुकुमोनी तादू (18), सुमी माद्दी (17), साहेब माद्दी (16) और मंगल मुर्मू (16) हैं। खुकुमोनी ने 33 फीसद, सुमी ने 31 और साहेब व मंगल ने 29 फीसद अंक हासिल किए हैं। सीमांत किसान बाबूलाल तादू (70) ने बताया क‍ि इन चार बच्‍चों से पहले किसी ने भी हाईस्‍कूल की परीक्षा पास नहीं की।

उन्‍होंने बताया कि गांव से तीन किमी दूर अंभा गांव में एक प्राथमिक स्‍कूल है। हमारे बच्‍चे वहां पढ़ने जाते हैं, लेकिन जल्‍द ही स्‍कूल की पढ़ाई छोड़ देते हैं। कुछ बच्‍चे तो पहली कक्षा में ही स्‍कूल छोड़ देते हैं और कुछ बच्‍चे ही चौथी तक पढ़े हैं। उन्‍होंने बताया कि गांव में अधिकांश किसान हैं और हम अपने काम को नजरअंदाज नहीं कर सकते है और रोज अपने बच्‍चों को स्‍कूल नहीं भेज सकते हैं।

एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन, मल्‍लारपुर नईसुवा ने साल 2001 में यहां परिवर्तन का बीज बोया। इस एनजीओ ने सर्व शिक्षा अभियान से वित्तीय सहायता के साथ 2002 से एक पूर्व प्राथमिक स्कूल व क्रेच खोला। यह बाद में एक शिशु शिक्षा केन्द्र में बदल गया।

बाबूलाल ने कहा कि एनजीओ के लोगों ने हमारे बच्चों को केन्द्र में पढ़ने के लिए जागरुक किया। इससे बच्‍चों के स्‍कूल छोड़ने की प्रवृत्‍ित कम हुई। सभी चार बच्‍चे, जिन्‍होंने माध्यमिक परीक्षा पास की है, वे इसी केन्द्र से निकले हैं। चौथी कक्षा पास करने के बाद वे बच्‍चे गांव से करीब तीन किमी दूर कल्‍लारपुर में दो उच्च विद्यालयों में अध्ययन करने गए।

खुकुमोनी और सुमी ने 2014 में बोर्ड की परीक्षा दी थी, लेकिन वे असफल रहीं। मगर, इस बार वे पास हो गईं। इन बच्‍चों के सम्‍मान में गांव के लोग पैसे जमा करके सांस्‍कृतिक समारोह करने जा रहे हैं। बाबूलाल ने बताया कि एनजीओ के द्वारा फैलाई गई जागरूकता के काराण साल 2005 के आस-पास से स्‍कूल छोड़ने वाले बच्‍चों की संख्‍या में तेज गिरावट दर्ज की गई। उन्‍होंने बताया कि जिला प्रशासन अब चारों बच्‍चों को सुविधाएं मुहैया कराएगा।

 
 
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