15 साल में पहली बार एयरटेल को लगेगा बड़ा झटका, अब यह होगी देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी

15 साल से देश में नबंर एक स्थान पर काबिज एयरटेल को एक बड़ा झटका लगने जा रहा है। एनसीएलटी ने वोडाफोन और आइडिया सेल्यूलर के विलय को मंजूरी दे दी है। इससे 35 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ 23 अरब डालर मूल्य देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी बनने का रास्ता साफ हो गया है। दूरसंचार क्षेत्र की प्रस्तावित दिग्गज कंपनी वोडाफोन आइडिया लि. अपने वृहत आकार के साथ भारती एयरटेल को पीछे छोड़ देगी जो फिलहाल देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है।15 साल में पहली बार एयरटेल को लगेगा बड़ा झटका, अब यह होगी देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी

ग्राहक संख्या में होगी अव्वल

वोडाफोन और आइडिया सेल्यूलर के ग्राहकों की संख्या करीब 44.3 करोड़ है। वहीं भारती एयरटेल के ग्राहकों की संख्या 34.4 करोड़ है। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय कंपनी विधि प्राधिकरण (एनसीएलटी) से मंजूरी मिल गयी है और अगले कुछ घंटों में संयुक्त बयान जारी किये जाने की संभावना है।

चमके शेयर, एयरटेल में गिरावट

शुक्रवार को आइडिया के शेयर भाव में 1.81 फीसदी की तेजी आई। शेयर की कीमत 50.75 रुपये हो गई। दूसरी तरफ एयरटेल के शेयर के भाव में 0.25 फीसदी की गिरावट आ गई। एयरटेल के शेयर का भाव 382.75 रुपये है। सरकार ने 26 जुलाई को वोडाफोन इंडिया और आइडिया के विलय को मंजूरी दी थी। दोनों कंपनियों द्वारा एकमुश्त स्पेक्ट्रम शुल्क के रूप में 7,248.78 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने के बाद सरकार ने यह मंजूरी दी।

दोनों कंपनियां करेंगी अलग-अलग काम

विलय के बाद बनने वाली इकाई में कुमार मंगलम बिड़ला गैर-कार्यकारी चेयरमैन होंगे और बालेश शर्मा नये सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) होंगे। कंपनी सूचीबद्ध बनी रहेगी। आइडिया और वोडाफोन के ब्रांड अलग-अलग काम करते रहेंगे। इस विलय सके बाद आइडिया में 6700 करोड़ की पूंजी डाली जाएगी और वोडाफोन में 8600 करोड़ रुपए निवेश होगा।

30 जून तक इस कंपनी का कर्ज 1.09 लाख करोड़ रुपए था।इस नई कंपनी की आय 60 हजार करोड़ होगी और इसके ऊपर 1.15 लाख करोड़ का कर्ज है। अब देश में प्राइवेट सेक्टर में सिर्फ 3 बड़ी टेलीकॉम कंपनी ही बची है।

इसमें रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया शामिल हैं। अब आइडिया और वोडाफोन के सामने सबसे बड़ी चुनौती 4जी सेवा पर ध्यान देना है। इसके अलावा अब मार्केट में बीएसएनएल के अलावा तीन कंपनियों के बचने से टैरिफ बढ़ने की उम्मीद है।

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