13 महीने के शीर्ष पर बांड की कीमत,30 हजार अंक उछला ,13 साल में सेंसेक्स
खास बातें
इन कारणों से बाजार ने खोई बढ़त
- –सेंसेक्स के रिकॉर्ड स्तर तक जाने से निवेशक सतर्क हो गए और मुनाफावसूली शुरू कर दी।
- -वैश्विक बाजारों में गिरावट का असर घरेलू बाजार की धारणा पर भी दिखा।
- -मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट।
बीएसई पर सेंसेक्स ने बृहस्पतिवार को अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर 40 हजार के आंकड़े को छू लिया है। इस तरह, वर्ष 2006 में पहली बार 10 हजार के आंकड़े को छूने वाले सेंसेक्स ने पिछले 13 वर्षों में 30 हजार अंकों की बढ़त दर्ज की है।
सेंसेक्स के इतिहास पर नजर डालें तो 6 फरवरी, 2006 को पहली बार बाजार ने 10 हजार का आंकड़ा पार किया था। इसके बाद से ज्यादातर इंडेक्स ने बढ़त दर्ज की और 13 साल के सफर के बाद सेंसेक्स 40 हजार अंकों की ऊंचाई तक पहुंच गया।
रिलायंस सिक्योरिटीज के सीईओ बी. गोपकुमार का कहना है कि बाजार में स्थिरता, मजबूती और निरंतरता कायम है। यह घरेलू इक्विटी बाजार में वैश्विक निवेश को बढ़ावा देगी जिससे आने वाले समय सेंसेक्स नई ऊंचाई तक पहुंच सकता है।
बांड की कीमत 13 महीने के शीर्ष पर
एनडीए सरकार की वापसी से बांड बाजार में भी उत्साह रहा और 10 साल के बांड की कीमत 13 महीने के शीर्ष पर पहुंच गई। बुधवार को बांड बाजार में 10 साल की बांड यील्ड 5 आधार अंक गिरकर 7.21 फीसदी रही, जो 9 अप्रैल, 2018 को 7.19 फीसदी के स्तर पर रहा था। एमके इंवेस्टमेंट मैनेजर्स के फंड प्रबंधक सचिन शाह का कहना है कि महंगाई दर में कमी और आरबीआई की ओर से नकदी प्रवाह बनाए रखने व मौद्रिक नीति में नरमी से बांड बाजार में निवेशकों की धारणा को सकारात्मक बल मिला। मोदी सरकार की वापसी से निवेशकों में कॉरपोरेट और वित्तीय क्षेत्र में सुधार का भरोसा बढ़ा है।
पांच कंपनियों की बड़ी भागदारी
कंपनी उछाल (13 साल में)
बजाज फाइनेंस 7575 फीसदी
इंडसइंड बैंक 2832
कोटक महिंद्रा बैंक 2327
एशियन पेंट्स 1832
एचडीएफसी बैंक 1515
उद्योग जगत के बोल
स्थिर सरकार से बढ़ेगा विदेशी निवेश
मोदी सरकार की वापसी से मौजूदा आर्थिक नीतियां कायम रहेंगी और इससे भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी निवेश बढ़ने की उम्मीद है। चुनाव की वजह से पिछले छह महीने से कई सौदे अटके पड़े हैं। इनके पूरे होने से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
-रमेश दमानी, सदस्य, बीएसई
नई सरकार को जीडीपी की विकास दर तेज करने पर जोर देना होगा, जिसके लिए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती जरूरी है। सरकार ने छोटी कंपनियों को इसमें राहत दी है, लेकिन बड़ी कंपनियों के लिए इसे 25 फीसदी पर लाने का वादा भी पूरा करना होगा।
आदि गोदरेज, चेयरमैन, गोदरेज समूह
यह समय सख्ती के साथ सुधारों को लागू करने और देश में आर्थिक नीतियों के पूर्ण बदलाव का है। सरकार को कारोबार और उद्यमियों के लिए बेहतर तंत्र बनाने पर जोर देना चाहिए और नई नौकरियां पैदा करने के प्रयास होने चाहिए।
-अरविंद पनगढ़िया, पूर्व उपाध्यक्ष, नीति आयोग
केंद्र में स्थिर सरकार आने से रियल एस्टेट क्षेत्र में एक बार फिर मजबूती आने की उम्मीद जगी है। हम इस बात के प्रति आशावान हैं कि नई सरकार इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाएगी, जिससे वृद्धि और नई नौकरियों का लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी।
-सुरेंद्र हीरानंदानी, संस्थापक व निदेशक, हाउस ऑफ हीरानंदानी