11 महीनों के अंदर चौथी बार बदले जा रहे अरुणांचल प्रदेश के मुख्यमंत्री

साल के अंत में भी अरुणांचल प्रदेश में सियासी उठापटक जारी है। राज्य में ये हालात हैं कि पिछले 11 महीने में चौथी बार इसका मुखिया बदला जा रहा है। पेमा खांडू की जगह अब तकाम पेरियो को प्रदेश की कमान सौंपी जाएगी।

राज्य में ये उथल पुथल तभी से जारी है जब पिछले साल नाबाम टुकी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के 47 में से 21 विधायक बागी हो गए। इसके बाद राज्यपाल ने नाबाम टुकी को बर्खास्त कर दिया। जनवरी के आखिरी हफ्ते में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

अभी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगे एक महीना भी नहीं हुआ था कि राज्यपाल राजखोवा ने बागी विधायकों के गुट के नेता कालिखों पुल को भाजपा के 11 विधायकों के समर्थन के आधार पर 19 फरवरी को राज्य के मुख्यमंत्री बना दिया।

इसके बाद कांग्रेस ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया वहां जस्टिस जेएस केहर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने 13 जुलाई को राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए फिर से नाबाम टुकी सरकार को बहाल कर दिया। कालिखो पुल 145 दिन तक ही मुख्यमंत्री रहे फैसले से सदमें में आए पुल ने अगले महीने 9 अगस्त को फांसी लगाकर जान दे दी।

नाबाम टुकी सरकार के बहाल होने के 4 दिन बाद ही 16 जुलाई को कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई और उसमें पेमा खांडू को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इसके बाद 17 जुलाई को उन्हें अरुणांचल का मुख्यमंत्री बना दिया गया। इसके बाद सभी को लग रहा था कि ये घमासान थम गया। लेकिन सितंबर के बीच में कांग्रेस पर गाज गिरी अचानक पेमाखांडू समेत 42 अन्य विधायक कांग्रेस का दामन छोड़ अरुणांचल पीपुल्स पार्टी में शामिल हो गए। इसके अलावा खांडू समर्थक दो निर्दलीय विधायक भी पीपीए में शामिल हो गए। अब कांग्रेस में नाबाम टुकी के अलावा कोई नहीं रह गया और राज्य में पीपीए की सरकार बनी। 

29 दिसंबर को पेमा समेत 6 लोगों को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते पार्टी से हटा दिया। अब पीपीए विधानसभा तकाम परियो का नामम सामने आ रहा है। पार्टी उन्हें मुख्य मंत्री घोषित कर सकती है।

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